सिटी पोस्ट लाइव : बिहार बोर्ड की दसवीं क्लास की परीक्षा का रिजल्ट तैयार है. 15 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स रिजल्ट का इंतज़ार कर रहे हैं फिर क्यों नहीं आउट हो रहा है रिजल्ट. बिहार बोर्ड के आधिकारिक सूत्रों के 22 मई तक बिहार बोर्ड की दसवीं क्लास के नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे. बोर्ड बारहवीं के नतीजे 24 मार्च को ही घोषित कर चुका है.
दरअसल,टॉपर्स घोटाले के बाद से बिहार बोर्ड ने अपनी शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. यही वजह है कि बोर्ड ने जहां पिछले साल सबसे पहले दसवीं और बारहवीं के नतीजे घोषित किए थे, वहीं इस साल भी बोर्ड कोरोना वायरस के बीच इतिहास रचने को तैयार है. बोर्ड ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था को मद्देनजर रखते हुए बड़े बदलाव किए हैं.
सबसे पहले एग्जाम पैटर्न को बदला गया है.साल 2020 में बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड ने 50 प्रतिशत सवाल आबजेक्टिव रखे और बाकी 50 प्रतिशत सब्जेक्टिव. फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी जैसे एग्जाम में 70 अंक थ्योरी के लिए थे. वहीं 35 अंक मल्टीपल चॉइस क्वेश्चन के लिए हैं. मार्किंग स्कीम भी खास है.बिहार बोर्ड ने हालिया समय में जो बड़ा ऐलान किया है, उसके तहत साल 2021 में दो 50 नंबर के लेंग्वेज पेपर्स की जगह 100 नंबर का एक पेपर आयोजित किया जाएगा. अतिरिक्त विषयों की संख्या भी बढ़ाई गई हैं. स्टूडेंट्स के पास छह विषय चुनने का अधिकार होगा और बेस्ट आफ फाइव के आधार पर गणना होगी. स्टूडेंट्स के पास एक इलेक्टिव सब्जेक्ट चुनने का भी विकल्प होगा. अगर छात्र किसी एक मुख्य विषय में फेल हो जाए तो इलेक्टिव सब्जेक्ट के अंक काउंट किए जाएंगे. इससे पास प्रतिशत बढ़ता है.
टॉपर्स वेरिफिकेशन : साल 2016 के टॉपर्स घोटाले के बाद बिहार बोर्ड ने टॉपर्स वेरिफिकेशन का महत्वपूर्ण काम शुरू किया. इसके तहत बोर्ड टॉप स्कोर करने वाले छात्रों की आंसर शीट से सवाल पूछता है. मौजूदा समय में जबकि देश और दुनिया कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में जुटी है तो इस साल टॉपर्स वेरिफिकेशन की प्रक्रिया वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अंजाम दी गई. इसके तहत छात्रों को कुछ सवालों के जवाब लिखने को कहा जाता है ताकि उनकी हैंडराइटिंग का मिलान किया जा सके.
बिहार बोर्ड का दावा है कि उसने एक नए सॉफ्टवेयर की मदद से रिजल्ट प्रोसेसिंग में 16 प्रतिशत की तेजी हासिल की है. इस तकनीक का इस्तेमाल पहली बार इसी साल किया गया है. बोर्ड ने करीब आठ करोड़ की लागत से 200 टीबी की क्षमता वाले डाटा सेंटर का निर्माण किया है, जिसमें सभी रिकॉर्ड सुरक्षित तरीके से रखे गए हैं.
बिहार बोर्ड का दावा है कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था में हुए जबरदस्त सुधार का ही परिणाम है कि साल 2017 में जहां बारहवीं क्लास का पास प्रतिशत महज 50 फीसदी रहा था, वहीं इस साल बारहवीं क्लास का रिजल्ट 80.44 फीसदी रहा है. जहां तक दसवीं क्लास की बात है तो पिछले साल दसवीं में 80.73 फीसदी बच्चे पास हुए थे.