सिटी पोस्ट लाइव : आज शारदीय नवरात्रि का पहला दिन है। आज से शुरू हुआ त्योहार 15 अक्तूबर, शुक्रवार को सम्पन्न होगा. नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। इस बार 8 दिन के नवरात्रि में मां भगवती डोली पर सवार होकर पधारेंगी। गुरुवार व शुक्रवार को नवरात्रि का आरम्भ हो तो मां डोली पर सवार होकर आती हैं। इसके साथ ही आज से माता के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा शुरू हो गई है।
ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा की कृपा से घर में सुख-समृद्धि आती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है। वहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार, पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। कहा जाता है पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या थीं, तब इनका नाम सती था। इनका विवाह भगवान शंकरजी से हुआ था। जी दरअसल प्रजापति दक्ष के यज्ञ में सती ने अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया।
कहते हैं पार्वती और हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। वहीं उपनिषद् की एक कथा के अनुसार, इन्हीं ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था। नव दुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री का महत्व और शक्तियां अनन्त हैं। वहीं नवरात्र पूजन में प्रथम दिन इन्हीं की पूजा और उपासना करते हैं और इस दिन उपासना में योगी अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित कर साधना करते हैं।
बता दें नवरात्रों के नौ दिनों में भगवती दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों में पूजा करने के साथ-साथ प्रसाद भी प्रतिदिन अलग-अलग वस्तुओं का चढ़ाया जाता है। प्रतिदिन आंवले का सुगंधित तेल, द्वितीय नवरात्रे में बाल गूंथने के काम आने वाला रेशमी सूत या फीता, तृतीय नवरात्रे में सिंदूर अथवा दर्पण अर्पित करें। चौथे नवरात्रे पर गाय का दूध, दही, घी एवं शहद से बने द्रव्य, पंचम नवरात्रे में चंदन एवं आभूषण, छठे नवरात्रे में पुष्प एवं फूलों की माला, सातवें नवरात्रे में गृह मध्य पूजा, आठवें नवरात्रे में उपवास पूर्वक पूजन, नौवें नवरात्रे में महापूजा तथा कुमारी पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं।
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