चीन की ‘बंदूक की ताकत’ के खिलाफ जारी रखेंगे लड़ाई : दलाई लामा.
सिटी पोस्ट लाइव : तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा (Dalai Lama) ने चीन में कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ अपनी लड़ाई आगे भी जारी रखने का आह्वान करते हुए कहा कि चीन का कम्युनिस्ट शासन ‘बंदूक की ताकत’ पर चल रहा है. तिब्बत के बौद्ध ‘सच्चाई की शक्ति’ के साथ इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं. दलाई लामा ने गया के बोधगया में महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) में चीन के खिलाफ यह बयान देकर देश दुनिया को एक बड़ा सन्देश दिया है.
दलाई लामा अपनी एक पखवाड़े तक चलने वाली वार्षिक यात्रा पर मंगलवार की रात बोध गया (Bodh Gaya) पहुंचे.देश दुनिया से आये भक्तों को दर्शन दिया और उन्हें संबोधित भी किया.उन्होंने कहा कि तीन साल पहले हुए सर्वेक्षण में पता चला कि चीन में तिब्बती बौद्धों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई है. हमारे पास सच की ताकत है जबकि चीन में कम्युनिस्ट शासन के पास बंदूक की ताकत है.
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा ने नालंदा विश्वविद्यालय का उदाहरण देते हुए ‘प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली’ और ‘अहिंसा, करुणा तथा लोकतंत्र’ के उसके गुण की तारीफ की.तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा कि सामाजिक प्राणी होने के नाते, हम करुणा के बिना नहीं रह सकते. मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए यह अनिवार्य गुण है. दुनिया अकसर धर्म के नाम पर हिंसा की चपेट में रहती है. यह नहीं होना चाहिए और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देना चाहिए.”
चीन में बौद्ध धर्म के प्रसार के बारे में दलाई लामा ने कहा कि चीन पारंपरिक रूप से बौद्ध देश रहा है. विभिन्न धर्मों के अनुयायियों की तरह बौद्धों की संख्या भी बड़ी है. उन्होंने कहा कि चीन में कई नागरिक तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन कर रहे हैं और उसके विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में बौद्ध शोधार्थी हैं.
गौरतलब है कि दलाई लामा ने चीन की जनमुक्ति सेना के दमन के मद्देनजर अपना देश छोड़कर भागने के बाद 1959 में भारत में शरण ली थी.दलाई लामा के दौरे के देखते हुए गया शहर में सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं. दलाई लामा यहां 14 दिन तक रुकेंगे. पिछले साल जनवरी में उनके दौरे के समय कम तीव्रता का बम धमाका हुआ था जो उस स्थान के बेहद करीब हुआ था जहां कुछ घंटे पहले उन्होंने प्रवचन दिए थे.