सिटी पोस्ट लाइव : मोक्षधाम यानी गयाजी में अन्तराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाला 17 दिवसीय राजकीय पितृपक्ष मेला इस बार 19 सितंबर से शुरू होगा। कोरोना संक्रमण के कारण सरकर द्वारा धार्मिक आयोजनों पर अनलॉक के तीसरे चरण में भी छह जुलाई तक रोक लगा दी गई है। वहीं, श्रदालुओं के धर्म स्थलों में भी प्रवेश पर रोक है। पितृपक्ष मेले की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आने लगी है, श्री विष्णु प्रबंधकारिणी समिति व गया पालपंडा समाज के लोगों में मेले का आयोजन शुरू होने में संशय की स्थिति बनी हुई है। वहीं दूसरी तरफ विष्णुपद मंदिर सहित अन्य सभी धर्म स्थलों के बंद रहने से व बीते वर्ष 2020 में कोरोना के कारण पितृपक्ष मेले का आयोजन नहीं होने से इससे जुड़े पंडा-पुरोहितों की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
पंडा समाज अपनी चरमरायी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पितृपक्ष मेले के आयोजन का होना जरूरी मानते हैं। इस बार पितृपक्ष मेला शुरू हो, इसके लिए समिति द्वारा सूबे के सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखकर अनुमति मांगी हैं। बिहार सरकार द्वारा पितृपक्ष मेला को राज्यकीय मेले का दर्जा दिया गया है। मेले के आयोजन को लेकर श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के कार्यकारी अध्यक्ष शंभूलाल विट्ठल व अन्य सदस्यों ने सीएम को ध्यान आकृष्ट कराते हुए पितृपक्ष मेला के धार्मिक,पौराणिक महत्व के साथ आर्थिक पक्ष की चर्चा करते हुए कहा कि प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से गया जिले के लोगों को रोजी-रोटी व रोजगार से जुड़ा हुआ है।
विश्वविख्यात विष्णुपद मंदिर में पितृपक्ष मेला के दौरान अपने पूर्वजों के निमित्त मोक्ष कामना हेतु पिंडदानियों एवं तीर्थयात्रियों का आगमन होता है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि पिंडदान का प्रमुख स्थल फल्गु नदी, प्रेतशिला, राम शिला, विष्णुपद और बोधगया है। पिंडदान करने के लिए बहुत बड़ा जगह उपलब्ध है।जहां सामाजिक दूरी का पालन करते हुए लोग कर्मकांड कर सकते हैं। सरकार द्वारा तय कोविड गाइडलाइन का सही पालन कर पितृपक्ष मेला के आयोजन करने की अनुमति दी जाए। जिसमें पिंडदानियो एवं पंडो को मास्क पहनना अनिवार्य, रेलवे स्टेशन,बस अड्डे व एयरपोर्ट से आने वाले तीर्थ यात्रियों के कोरोना जांच के बाद ही जिले में प्रवेश करने की अनुमति, यात्रियों के डबल वैक्सीनेशन के बाद ही कर्मकांड की अनुमति दी जाए।
विष्णुपद मंदिर के आसपास के सैकड़ों दुकानदारों की माने तो 2020 में भी पितृपक्ष मेला का आयोजन नहीं किया गया था जिसमें उससे जुड़े कई लोगों के बीच रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई थी और इस वर्ष भी अगर पितृपक्ष मेले का आयोजन की अनुमति ने दी जाती है तो हम लोग भुखमरी की स्थिति में आ जाएंगे, सरकार से मांग करते हैं कि कोरोना गाइडलाइंस के अनुसार मंदिर खोलने और पितृपक्ष मेला का होने की अनुमति दी जाए।
वही मंदिर बंद होने से मंदिर में पूजा करने आए श्रद्धालुओं को भी निराशा हाथ लग रही है वही पूजा करने आये श्रद्धल भी बाहर से ही वापस चले जा रहे है, श्रद्धालु भी कहते हैं कि कोरोना गाइडलाइन के अनुसार मंदिर को खोल देना चाहिए। बता दें कि 15 दिनों तक चलने वाली पितृपक्ष मेला में लगभग 200 करोड़ का कारोबार होता है लेकिन पिछले साल पितृपक्ष मेला नहीं होने से लोगो के बीच काफी समस्या उत्पन्न हो गई अब 2021 में भी पितृपक्ष मेला होने को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है ब सभी की निगाह सरकार पर टिकी हुई है।
गया से जीतेन्द्र कुमार की रिपोर्ट
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