सिटी पोस्ट लाइव : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (Bihar Assembly Election 2020) के चुनाव में प्रदेश में अलग-अलग कई मोर्चे बन चुके हैं. बड़े दलों के बीच गठबंधन होने की वजह से दर्जनों विधायक और सैकड़ों कार्यकर्त्ता चुनाव मैदान से बाहर हो चुके हैं. 5 साल का इंतज़ार भला कौन राजनीति मेकर्ता है.जिनको अपने दल से टिकेट नहीं मिल रहा है, वो बगावत कर दुसरे दल का दामन थाम रहे हैं और उनका सिम्बल लेकर चुनाव मैदान में उतर रहे हैं.ईन बागी उम्मीदवारों के लिए भरपूर ऑप्शन मौजूद हैं. कई ऐसी सीटें हैं जहां बगावत करने वाले प्रत्याशी अपने ही दल का खेल बिगाड़ सकते हैं.बागी उम्मीदवार सत्तारूढ़ NDA और विपक्षी महागठबंधन (Mahagathbandhan) दोनों के लिए चुनौती बने हुए हैं.समझौते में कम सीट मिलने और दावेदारों की भारी संख्या ने खासतौर से BJP, JDU और RJD के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है.
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अब तक 6 गठबंधन बन चुके हैं. सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन में शामिल दलों के लिए बागी बड़ा सिरदर्द बन रहे हैं. बागियों के लिए ढेर सारे विकल्प होने के कारण इस बार इन्हें रोकना इन दलों के लिए आसान नहीं है. इस बार इन दलों के बागियों के सामने लोजपा, एआईएमआईएम-बसपा-आरएलएसपी-एसजेडी गठबंधन जैसे कई अहम विकल्प हैं. बागियों के लिए जाप और भीम आर्मी गठबंधन भी एक बड़ा विकल्प के रूप में सामने आया है.
बीजेपी और जेडीयू ने अभी तक अपने कई बागी नेताओं को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है. बावजूद इसके पहले ही चरण में पार्टी के कई नेता चुनावी मैदान में मौजूद हैं. दूसरे व तीसरे चरण के लिए ऐसे नेताओं को भी नाम वापसी के लिए कहा गया है. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें भी निकाला जा सकता है. अभी जो नेता बागी होकर मैदान में डटे हैं उनमें रामेश्वर चौरसिया सासाराम से, राजेन्द्र सिंह दिनारा से, उषा विद्यार्थी पालीगंज से, श्वेता सिंह संदेश से, झाझा से रवीन्द्र यादव, जहानाबाद से इंदू कश्यप, अजय प्रताप जमुई से, मृणाल शेखर अमरपुर से तो अनिल कुमार बिक्रम से चुनाव लड़ रहे हैं.
JDU ने भी बागी बनकर चुनाव लड़ रहे अपने नेताओं को पार्टी से निकालना शुरू कर दिया है. ये सभी जदयू से टिकट न मिलने पर दूसरे दल के चुनाव चिह्न पर या निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं या किसी अन्य दल का समर्थन कर रहे हैं. जिन 15 नेताओं के खिलाफ जनता दल यूनाइटेड ने कार्रवाई करके उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया है उनके नाम हैं – 1. ददन सिंह यादव, वर्तमान विधायक, डुमरांव 2. रामेश्वर पासवान, पूर्व मंत्री, सिकंदरा 3. भगवान सिंह कुशवाहा, पूर्व मंत्री, जगदीशपुर 4. रणविजय सिंह, पूर्व विधायक 5. सुमित कुमार सिंह, पूर्व विधायक, चकाई 6. कंचन कुमारी गुप्ता, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ, मुंगेर 7. प्रमोद सिंह चंद्रवंशी, पूर्व सदस्य अति पिछड़ा वर्ग आयोग, ओबरा 8. अरुण कुमार, बेलागंज 9. तजम्मुल खान, रफीगंज 10. अमरीश चौधरी पूर्व जिलाध्यक्ष रोहतास, नोखा 11. शिव शंकर चौधरी, पूर्व जिला अध्यक्ष जमुई, सिकंदरा 12. सिंधु पासवान, सिकंदरा 13. करतार सिंह यादव, डुमरांव 14. डॉ. राकेश रंजन, बरबीघा 15. मुंगेरी पासवान, चेनारी.
बागियों के मामले में राष्ट्रीय जनता दल के लिए भी स्थिति अनुकूल नहीं है. RJD छोड़ JDU में शामिल होने वाले विधायक जयवर्धन यादव, चंद्रिका राय, प्रेमा चौधरी, महेश्वर यादव, फराज फातमी, अशोक कुमार के अलावा विधान पार्षद संजय प्रसाद, पूर्व विधायक विजेंदर यादव अब जदयू प्रत्याशी के रूप में RJD के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं. गरखा के मौजूदा विधायक मुनेश्वर चौधरी भी पाला बदल चुके हैं और जाप से खड़े हैं. इसके अलावा RJD से इस्तीफा देने वाले सत्येंद्र पासवान फुलवारी शरीफ से जाप के प्रत्याशी हैं. युवा RJD के महासचिव रहे सोना पासवान अब बनमनखी से जाप प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं. इसके अलावा शिवहर के जिलाध्यक्ष ठाकुर धर्मेंद्र सिंह ने भी राजद छोड़ रालोसपा का दामन थाम लिया है.
हर दल में बगावात है.हर दल के लिए बागी एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं.इस बगावत से किसको कितना नुकशान और किसको कितना फायदा होगा, अभी ये बता पाना मुश्किल है.NDA के लिए खासतौर पर JDU, HAM और VIP पार्टी के उम्मीदवारों के लिए LJP के उम्मीदवार सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं.