सिटीपोस्टलाईव : केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट दलित विरोधी है.उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के आदेश से दलितों का भारी नुकशान हो रहा है.मंत्री का मानना है कि न्यायपालिका में पर्याप्त संख्या में दलितों के नहीं होने के कारण ही ऐसा हो रहा है.उपेन्द्र कुशवाहा ने सवर्ण समाज को चेताते हुए कहा कि आरक्षण का विरोध करने पर उसका ही अधिक नुकसान होगा.उन्होंने कहा कि आरक्षण के मामले पर जिस तरह से तनाव बढ़ रहा है, लगता है बिहार 2005 के पहले वाली स्थिति में लौट जाएगा.उन्होंने कहा कि सवर्ण समाज के लोगों से हाथ जोड़ कर प्रार्थना है आरक्षण का विरोध न करें.
कुशवाहा ने कहा कि दलितों और पिछड़ों की हकमारी का पार्टी हमेशा विरोध करती रहेगी और सामाजिक न्याय के अपने आंदोलन को आगे भी जारी रखेगी. दलितों और पिछड़ों को जितना हक मिलना चाहिए था, अब तक नहीं मिल पाया है. 2 अप्रैल को एससी-एसटी संगठनों के भारत बंद के विरोध में 10 अप्रैल को सड़क पर सवर्णों के उतरने को गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि कोई डरा-धमका कर उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी की आवाज नहीं दबा सकता है.उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दलितों, पिछड़ों और गरीब सवर्ण को आरक्षण दिलाने के लिए 20 मई से दिल्ली से सम्मेलन के साथ आंदोलन की शुरूआत होगी. दिल्ली के बाद पटना और अन्य राज्यों की राजधानी में सम्मेलन और गोष्ठी का आयोजन होगा.
उपेन्द्र कुशवाहा ने न्यायपालिका को दलित विरोधी करार देते हुए कहा कि उनका मानना है कि जब तक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दलितों, पिछड़ों की भागीदारी नहीं बढ़ेगी, तब तक हकमारी होती रहेगी.उन्होंने दलितों, पिछड़ों और गरीब सवर्ण का प्रतिनिधित्व न्यायपालिका में बढाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से पहल की मांग की .