सिटी पोस्ट लाइव, रांची : भाजपा विधायक भानू प्रताप शाही ने कहा है कि जिस प्रकार झारखंड खनिज संपदा से परिपूर्ण है उसी प्रकार खेल के मामले में भी इस राज्य में प्रतिभाओं की अपनी अलग व खास पहचान है। ओलंपिक में पदक लाने वाले जयपाल सिंह मुंडा की यह धरती खिलाड़ियों और खेल के मामले में काफी धनी और उर्वरा रही है। महेंद्र सिंह धोनी, दीपिका जैसे खिलाड़ियों ने विश्व पटल पर झारखंड को एक विशेष पहचान और प्रतिष्ठा दिलाने का काम किया है। कह सकते हैं कि झारखंड की रीति रिवाज और संस्कृति में ही खेल रचता बसता है।
रांची स्थित पार्टी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में भानू प्रताप शाही ने कहा कि 2014 से रघुवर दास के नेतृत्व में खेल जगत को बढ़ावा देने की दिशा में कई सार्थक प्रयास हुए। वर्तमान सरकार ने उन तमाम प्रयासों को बढ़ाने की बजाय उस पर पानी फेरने का काम किया है। खेल और खिलाड़ियों के प्रति हेमंत सरकार की उदासीनता काफी दुखद है। सीएम कई विभागों के बोझ तले दबे हैं। इस विभाग को लेकर अगर सरकार संजीदा होती तो अभी यह विभाग सीएम की वजह किसी अन्य मंत्री के पास होता।
पूर्व की रघुवर सरकार ने गांव में छुपी प्रतिभाओं को निखारने और निकालने कई महत्वकांक्षी योजनाओं को प्रारंभ किया परंतु इस सरकार ने वर्तमान में उन योजनाओं पर पूरी तरह ग्रहण लगाने का काम किया है। आपको याद होगा कि रघुवर सरकार ने 4500 कमल कमल क्लब का गठन कर गांव की प्रतिभाओं को प्रदेश स्तर तक एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराने का प्रयास किया था। हेमंत सरकार के गठन के बाद से उस फंड में एक भी रुपए नहीं दिया। यह काफी दुखद है। आप खुद तो खेल को बढ़ावा देने के लिए कोई प्रयास कर नहीं रहे ऊपर से पूर्वर्ती सरकार के अभियान को रोककर आप अपनी मंशा को दर्शा रहे हैं। इसके अलावा पूर्ववर्ती सरकार ने टैलेंट हर्ट कार्यक्रम चलाया जिसमें 2016-17 में 4200 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। जिसमें 78 खिलाड़ियों का चयन किया गया। वही 2017-18 में 18500 खिलाड़ियों ने भाग लिया, जबकि 100 खिलाड़ियों का चयन हुआ। वहीं 2018-19 में 179000 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया, जिसमें कुल 170 खिलाड़ियों का चयन किया गया।
पिछले 1 साल से हेमंत सरकार ने इस कार्यक्रम पर ग्रहण लगा रखा है। इस कार्यक्रम के पीछे रघुवर सरकार की सोच थी कि 2024 में झारखंड के बच्चे ओलंपिक में गोल्ड मेडल लेकर आएंगे। प्रशिक्षण के नाम पर जो करार किया गया था वह भी हेमंत सरकार ने शिथिल कर रखा है। इसके अलावा कई प्रकार के प्रशिक्षण में केंद्र खोल कर भी खिलाड़ियों को भी रघुवर सरकार प्रशिक्षित कराती रही है परंतु हेमंत सरकार का फोकस खेल और खिलाड़ियों को लेकर तनिक भी नहीं है। प्रशिक्षण नहीं होगा तो सकारात्मक परिणाम कैसे आएगा ? हेमंत सरकार आनन-फानन में कैबिनेट से बिना स्वीकृति कराए ही खेल नीति लेकर आ जाती है। बड़ा ताज्जुब लगता है कि बिना कैबिनेट स्वीकृति के खेल नीति कैसे वैध मानी जाएगी। इतना ही नहीं खेल नीति के पहले पन्ने को देखकर ही प्रतीत होता है कि राज्य सरकार ने कैसे खेल और खिलाड़ियों के साथ खेल करने का काम किया है। झारखंड सरकार ने खिलाड़ियों को 3 वर्गों में बांट कर एक अलग ही परंपरा की शुरुआत की है। खिलाड़ियों के वर्गीकरण हो जाने से उनमें पहले ही हीन भावना घर कर जाएगी। इससे उनकी प्रतिभा तो कुंठित हो जाएगी। खेल नीति और बजट में कोई तालमेल भी नहीं है। जल्दबाजी में खेल नीति लाकर यह सिर्फ आईवास करने का प्रयास पर है। खेल नीति में संशोधन करना होगा नहीं तो जोरदार आंदोलन के लिए सरकार तैयार रहे।