नस्लभेद के खिलाफ शुरू लड़ाई मानवीय अधिकारियों की मिसाल बन गयी: उरांव

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह खाद्य आपूर्ति एवं वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि अफ्रीका मेंराष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा नस्लभेद से शुरू हुई लड़ाई विश्व भर में मानवीय अधिकारों की मिसाल बन गई और यहीं से जन्म हुआ सत्याग्रह का। सत्य, सत्याग्रह और अहिंसा के आदर्शों ने पूज्य गांधीजी को वैश्विक महानायक बना दिया,प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डा रामेश्वर उराँव आज राष्ट्र निर्माण की अपने महान विरासत कांग्रेस की श्रृंखला धरोहर की दसवीं वीडियो को अपने सोशल मीडिया व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक एवं ट्विटर पर जारी पोस्ट को शेयर करने के उपरांत मीडिया कर्मियों से बातचीत के दौरान अपने उद्गार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा गांधी जी का भारत भूमि पर सफल आगमन संघर्षों की पूरी प्रक्रिया थी उस प्रक्रिया में अफ्रीका में भारतीय हितों के लिए किए गए संघर्ष शामिल हैं क्योंकि गांधी एक दिन में नहीं बना जाता है। गांधी बनने के लिए चाहिए त्याग, तप,साधना, संघर्ष और बलिदान। 1893 में एक साल के अनुबंध पर कानून का अभ्यास करने अफ्रीका गए गांधी जी सात समुंदर पार भारतीय राष्ट्रवाद की मुखर आवाज बन गये। प्रथम श्रेणी की ट्रेन में रंगभेद के शिकार हुए पूज्य बापूजी ने तय किया कि एक भारतीय के रूप में वह अपने हर संभव अधिकार की लड़ाई लड़ेंगे।

व्यक्तिगत अपमान से शुरू हुई यह लड़ाई अफ्रीका में भारतीय अधिकारों की आवाज बन गई 1894 में उन्होंने इसके लिए नेटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की, 1906 में एक अधिनियम गांधीजी और तमाम एशियाई लोगों की पहचान पर सवाल खड़े कर देता है, गांधीजी इसके विरोध में खड़े हो जाते हैं और इस तरह 11 सितंबर 1906 को अफ्रीका में गांधी जी के पहले सत्याग्रह का जन्म होता है ।10 जनवरी 1908 में गांधी जी को जेल भेज दिया जाता है जेल से छूटते ही गांधीजी विरोध स्वरुप अपने कागज जला देते हैं, पूरा एशियाई समुदाय गांधी जी के साथ खड़ा हो जाता 7 अक्टूबर 1960 को फिर गाँधीजी को जेल की सजा होती है और अंत में गांधीजी इंग्लैंड जाते हैं और भारतीय समुदाय को एकजुट करते हैं ।इंग्लैंड से वापस अफ्रीका लौटने के बाद 1914 में गांधीजी का संघर्ष रंग लाता है और न केवल भारतीयों की नागरिकता पूछने वाला अधिनियम वापस लिया जाता है बल्कि सभी भारतीयों को जेल से छोड़ दिया जाता है। मोहनदास करमचंद गांधी के महात्मा और महात्मा से राष्ट्रपिता बनने की यात्रा अनगिनत संघर्षों, कठिनाइयों और जनसहयोग की बानगी है। 1994 में अफ्रीका ने गांधी जी को अपने राष्ट्र नायक के रूप में पहचान दिया,स्वंय नेल्सन मंडेला ने  रंगभेद की लड़ाई में गांधीजी के योगदान को सराहा।

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