देश की अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में नहीं है : रामेश्वर उरांव

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने कहा है कि सितंबर तिमाही के लिए जीडीपी के आंकड़े सामने आ चुके हैं। इस तिमाही में देश के इकॉनमी का ग्रोथ रेट माइनस 7.5 फीसदी रहा। इससे पहले प्रथम तिमाही  (अप्रैल-जून) में  भी देश का जीडीपी ग्रोथ रेट माइनस 23.9 फीसदी रहा था और लगातार दूसरे दर में भी जीडीपी वृद्धि दर नकारात्मक रहने से यह साबित हो जाता है कि देश की अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में नहीं है। लगातार दूसरी तिमाही में जीडीपी के माइनस में रहने से भारतीय अर्थव्यवस्था आधिकारिक रूप से मंदी में प्रवेश कर चुकी है।  उरांव ने बताया कि  जीडीपी ग्रोथ रेट के आंकड़ों से यह पता चलता है कि इस दौरान आर्थिक क्षेत्र में दुनिया भर में सबसे खराब प्रदर्शन भारत का ही रहा है।
उन्होंने  बताया कि ताजा आंकड़ों से साफ पता चलता है कि दूसरी तिमाही में भारत की इकॉनमी ने दुनिया की बड़ी इकनॉमिक देशों में ब्रिटेन के बाद सबसे खराब स्थिति में है, पिछले 11 तिमाही से इसमें गिरावट का सिलसिला जारी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि सिर्फ कोरोना संक्रमणकाल में ही नहीं, बल्कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के प्रचार-प्रसार के पहले से ही केंद्र सरकार की गलत नीतियों की वजह से जीडीपी में गिरावट दर्ज की जा रही थी। उन्होंने कहा कि सालाना आधार पर देखेंगें तो वित्त वर्ष 2017-18 में यह 7 फीसदी, 2018-19 में 6.1 फीसदी और 2019-20 में 4.2 फीसदी रहा।
जबकि तमात रेटिंग एजेंसियों और वित्तीय मामलों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020-21 में इसमें कम से कम 9-12 फीसदी की गिरावट का अनुमान है। वहीं आरबीआई ने भी  9.5 फीसदी गिरावट का अनुमान लगाया है। इसके बावजूद केंद्र सरकार स्थिति में सुधार के लिए कोई ठोस पहल करने के बजाय 20लाख करोड़ रुपये जैसे हवा-हवाई पैकेज की बात कर रही है, जिसका आम आदमी, गरीब, मजदूर, व्यवसायी, किसान और उद्यमियों को कोई राहत मिलता नहीं दिख रहा हैं।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने आनन-फानन में 4 घंटे के नोटिस पर पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी, उससे पूरे देश में संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी, रोजगार छीन गये, लोग जहां-तहां फंस गये, पूरी अर्थव्यवस्था चौपट गयी, फैक्ट्री बंद हो गये, व्यवसाय ठप्प हो गया, कारोबार ठप्प हो गया। जबकि दूसरे विकसित देशों ने जब अपने देश में लॉकडाउन की घोषणा की, तो चार-पांच दिनों का वक्त दिया था।
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