रंजीत रंजन की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बन सकते हैं RJD नेता तेजस्वी यादव
सिटी पोस्ट लाइव :महागठबंधन के घटक दलों के बीच सबकुछ ठीकठाक नहीं है. पप्पू यादव की वजह से उनकी पत्नी सुपौल से सांसद रंजीता रंजन भी तेजस्वी यादव के समर्थकों के निशाने पर आ गई हैं. सुपौल से जब कांग्रेस प्रत्याशी रंजीत रंजन ने आज नामांकन दाखिल किया तो एकता के दावों की सच्चाई सामने आ गई. रंजीत रंजन के नामांकन और चुनावी सभा में आरजेडी का एक भी बड़ा नेता नहीं दिखा.
दरअसल पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन को लेकर आरजेडी नेताओं का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसे में मोदी लहर में भी सुपौल सीट की नैया को पार लगाने वाली रंजीत रंजन के लिए इस बार चुनावी नाव डगमगाती नजर आ रही है.दरअसल राजद नेता यदुवंश यादव का कहना है कि पप्पू यादव जब शरद यादव के विरोध में मधेपुरा से नामांकन करने जा रहे थे तो रंजीत रंजन ने उन्हें तिलक लगाकर भेजा था. उनका वीडियो भी वायरल हो रहा है. ऐसे में सुपौल सीट पर राजद की मदद से चुनावी नैया पार करना चाहती है, वहीं मधेपुरा में अपने पति को खड़ा कर आरजेडी का विरोध करती है. इनके दो चेहरे हैं, जिसे आरजेडी ने पहचान लिया है.
गौरतलब है कि सुपौल लोकसभा सीट का जातीय समीकरण कुछ ऐसा है कि दोनों ही दलों के लिए अपने ही गढ़ में यह प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती जैसी है. यहां यादव वोटरों की संख्या 20.60 प्रतिशत , मुसलमान 16.05 प्रतिशत, ब्राह्मण 4.10 प्रतिशत, राजपूत 2.32 प्रतिशत, कोईरी 3.92 प्रतिशत, मल्लाह 4.31 प्रतिशत, बनिया 2.72 प्रतिशत, धानुक 7.28 प्रतिशत, कलवार 1.53 प्रतिशत, तेली 3.26 प्रतिशत, ततवा 2.24 प्रतिशत, रविदास 4.09 प्रतिशत, पासवान 4.88 प्रतिशत और महादलित मतदाताओं की संख्या 6.07 प्रतिशत है.
मुसलमान और यादव वोटरों पर आरजेडी अपनी दावेदारी कई दशकों से दिखाता आया है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि राजद के विरोध के बावजूद कांग्रेस सीट से रंजीत रंजन को इन जातियों का पूरा समर्थन मिल पाएगा?
वहीं वर्ष 2014 के चुनाव में मिले मतों का हिसाब लगाएं तो रंजीत रंजन ने 3 लाख 32 हजार 927 वोट हासिल किया था और दूसरे स्थान पर JD(U) के दिल्लेश्वर कामत रहे थे. उन्हें 2 लाख 73 हजार 255 वोट मिले थे. वहीं मोदी लहर में बीजेपी से कामेश्वर चौपाल 2 लाख 49 हजार 693 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. रंजीत ने ये सीट 59 हजार 672 मतों से जीती थी.
इस बार चुनावी मैदान में जेडीयू और बीजेपी दोनों ही साथ हैं. दोनों के मतों को मिला दें तो ये आंकड़ा रंजीत रंजन के वोटों से 1 लाख 90 हजार वोट अधिक हो जाता है. वहीं आरजेडी भी अगर रंजीत का विरोध करती रही तो रंजीत रंजन की जीत की राह आसान नहीं होगी.