“सन ऑफ़ मल्लाह “ सभी राजनीतिक दलों के लिए बना बड़ा सरदर्द

City Post Live
son of mallah/mukesh sahani

सिटीपोस्टलाईव के लिए मुंगेर से आकाश की रिपोर्ट – “सन ऑफ़ मल्लाह “ मुकेश सहनी बिहार के राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा सरदर्द बन गया है.लोक सभा चुनाव में अभी लगभग क साल का वक्त है लेकिन मल्लाह परिवार में जन्मे 30 साल के इस असाधारण नौजवान ने अभी से बिहार चुनावी शंखनाद कर दिया है.पिछले तीन महीनों से SC/ST आरक्षण की मांग को लेकर इस नौजवान ने कई कार्यक्रम करके सभी राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा दी है.” – “सन ऑफ़ मल्लाह “ के नाम से देश भर में मशहूर हो चुके मुकेश सहनी ने अभीतक कोई राजनीतिक दल नहीं बनाया है. निषाद विकास संघ नाम से एक संगठन बनाकर लगातार SC/ST आरक्षण की मांग को लेकर आन्दोलन चलाकर मुकेश सहनी ने सभी राजनीतिक दलों के दिग्गजों की पतलूनें गीली कर दी है.रविवार को मुंगेर में मुकेश सहनी के आह्वान पर चिलचिलाती धूप में हजारों की संख्या में निषाद समाज के लोगों ने “ मोटर साइकल महारैली” में भाग लेकर अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास करा दिया.सबसे ख़ास बात जिस कार्यक्रम को मुकेश सहनी धरना-प्रदर्शन का नाम देते हैं ,वह हमेशा रैली में तब्दील हो जाती है.

मुंगेर के बरियारपुरमहदेवा मैदान से पोलो मैदान मुंगेर तक आयोजित मुकेश सहनी की मोटरसाइकिल यात्रा में इतनी ज्यादा तादाद में लोग शामिल हुए कि यह यात्रा “मोटर साइकिल रैली” में तब्दील हो गई. मुकेश सहनी ने SC/ST आरक्षण की मांग को लेकर आने वाले दिनों में अपना आंदोलन और तेज कर देने का एलान करके बिहार के राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा दी है.मुकेश सहनी 10 जून को बेगूसराय,1 जुलाई को दरभंगा में आरक्षण की मांग को लेकर विशाल मोटर साइकल महारैली का आयोजन करेगें.25 जुलाई को वीरांगना फूलन देवी के शहादत दिवस के अवसर पर पटना में ‘महिला पदाधिकारी सम्मलेन’ आयोजित किया करेगें.

मुकेश सहनी पर सभी राजनीतिक दलों की नजर है .लेकिन उनका कहना है कि उनका साथ उसी दल को मिलेगा जो उनके संगठन के विचारधारा से मिलकर उनके समाज के हक़-हुकुक की लड़ाई लडेगा. उन्होंने कहा कि उनके लिए  NDA, UPA  सबके दरवाजे खुले हुए हैं.गौरतलब है कि अबतक यूपीए और एनडीए दोनों दलों के बड़े नेता मुकेश सहनी को बड़ा-बड़ा ऑफर दे चुके हैं.लेकिन मुकेश सहनी कहते हैं-“मेरा मकसद एमपी-एमएलए या फिर मंत्री बनना नहीं है.उन्होंने आज साफ़ कर दिया कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं तो वो आगे चलकर यानी लोक सभा चुनाव से पहले ही अपना एक राजनीतिक दल का गठन कर सकते हैं अपनी लड़ाई को आगे बढाने के लिए.

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