सिटी पोस्ट लाइव :1875 की क्रांति के महानायक वीर बाबू कुंवर सिंह के 160वें जयंती पर आयोजित हो रहे भव्य विजयोत्सव पर इस बार विशेष रूप से याद किया जा रहा है। भोजपुर जिला स्थित जगदीशपुर में आयोजित तीन दिवसीय विजयोत्सव पर राजकीय समारोह का आगाज शिवपुर घाट से हुआ । तीन दिनों तक राजकीय सम्मान के साथ उनकी वीरता व पराक्रम को याद किया जायेगा|जिस शिवपुर घाट पर बाबू कुंवर सिंह ने अपना हाथ काट गंगा को अर्पित कर दिया था, उसी घाट से उनकी विजयोत्सव यात्रा प्रारंभ हुई। सुबह सात बजे यूपी व भोजपुर की सीमा पर स्थित शिवपुर गंगा घाट से शोभा यात्रा निकाली गई। कला संस्कृति मंत्री सहित सूबे के कई मंत्रियों की अगुआई में यात्रा करीब 30 किलोमीटर की दूरी तय कर नयका टोला होकर जगदीशपुर स्थित ऐतिहासिक कुंवर सिंह किला तक पहुंची। शोभा यात्रा में बाबू कुंवर सिंह की वेशभूषा में लोग भी शामिल थे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा शोभा यात्रा को रिसीव किया गया। इस कार्यक्रम के जरिये सरकार उनके बलिदान व पराक्रम को विश्व स्तर तक पहुचाने के प्रयास में जुटी है। ज्ञात हो कि 1857 में अंग्रेजो को भारत से भगाने के लिए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ था। बिहार की दानापुर रेजिमेंट, बंगाल के बैरकपुर व रामगढ़ के सिपाहियों ने बगावत कर दी थी। मेरठ, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, झांसी व दिल्ली में भी आग भड़क उठी। 27 अप्रैल 1857 को कुंवर सिंह ने आरा नगर पर कब्जा कर लिया। अंग्रेजी फौज ने आरा पर हमला करने की कोशिश की तो बीबीगंज व बिहिया के जंगलों में घमासान लड़ाई हुई। बहादुर स्वतंत्रता सेनानी जगदीशपुर की ओर बढ़ गये। उसके बाद अंग्रेजों ने जगदीशपुर पर आक्रमण कर दिया। वीर कुंवर सिंह रामगढ़ के बहादुर सिपाहियों के साथ बांदा, रीवा, आजमगढ़, बनारस, बलिया, गाजीपुर व गोरखपुर में विप्लव के नगाड़े बजाते रहे। अप्रैल 1958 में नाव के सहारे गंगा नदी पार करने के दौरान अंग्रेजों ने उन पर हमला कर दिया। इस क्रम में उनके हाथ में गोली लग गयी। तब वीर कुंवर सिंह की उम्र 80 साल थी। गोली लगने के बाद उन्होंने अपने ही तलवार से हाथ काट गंगा नदी में अर्पित कर दिया। बुरी तरह घायल होने पर भी उसी दिन रणबांकुरे ने जगदीशपुर किले से अंग्रेजों का ‘यूनियन जैक नाम का झंडा उतार कर ही दम लिया।
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