सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने न तो सहयोगी जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी की सुनी और ना ही बीजेपी के नेताओं की सलाह मानी.उन्होंने सहयोगी दलों के साथ साथ की मांग को अनजरंदाज करते हुए बीच का रास्ता निकाल कर सबको चौंका दिया. मुख्यमंत्री ने न तो पंचायतों का कार्यकाल ही बढ़ाया और न प्रशासक की ही नियुक्ति की. चुनाव नहीं होने की स्थिति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वार्ड , पंचायत समिति, पंचायत और जिला परिषद में परामर्श समिति तैनात करने का निर्णय लिया.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को बिहार कैबिनेट की बैठक बुलाई थी. दोपहर 12.15 बजे से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कैबिनेट की बैठक शुरू हुई. सभी मंत्री विभागीय सचिव के चैंबर से वीसी के माध्यम से कैबिनेट की बैठक से जुड़े. बिहार कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण लिये गए. बिहार सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था के खत्म हो रहे कार्यकाल को बढ़ाने से इंकार कर दिया. कैबिनेट ने पंचायतों का चुनाव नहीं होने की स्थिति में परामर्शी समिति गठन का निर्णय लिया.
मंगलवार की कैबिनेट बैठक में पंचायती राज विभाग के उस प्रस्ताव को हरी झंड़ी दे दी जिससे पंचायतों में परामर्शी समिति की नियुक्ति होना है. पंचायती राज विभाग ने माना कि यदि किसी कारण से ग्राम पंचायत का आम निर्वाचन कराना संभव नहीं हो तो उक्त अवधि के अवसान पर ग्राम पंचायत भंग हो जाएंगी. ग्राम पंचायत में निहित सभी शक्ति का प्रयोग या संपादन ऐसी परामर्श समिति द्वारा की जाएगी जिसे राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा गठित करे. मतलब राज्य सरकार पंचायतों में प्रशासक की नियुक्ति नहीं करेगी बल्कि एक कमिटी बनाएगी जो पंचायतों का काम देखेगी.
पंचायती राज विभाग के मंत्री ने कहा कि संविधान में यह नियम है कि पांच साल से अधिक पंचायतों का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जा सकता. विभाग के प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल ने सहमति दे दी. कैबिनेट ने परामर्शी समिति बनाने का निर्णय लिया है. अब इस प्रस्ताव को राज्यपाल के पास भेजा जायेगा. समिति में कौन-कौन लोग होंगे इस पर बाद में निर्णय होगा. गौरतलब है कि बिहार में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 15 जून से खत्म हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी. बीजेपी के कई विधान पार्षद से लेकर BJP सांसद रामकृपाल यादव ने इस संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा था. सरकार के सहयोगी दल वीआईपी और हम ने भी नीतीश कुमार को पत्र लिखा था.
नीतीश कैबिनेट में मंत्री मुकेश सहनी और पूर्व सीएम जीतनराम मांझी तो खुलकर पंचायत का कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहे थे. दोनों ने सीएम से मांग करते हुए कहा कि राज्य में पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाया जाए और उनके पावर को न सीज किया जाए. लेकिन सीएम नीतीश कुमार ने किसी की नहीं सुनी और अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचय देते हुए बीच का रास्ता निकाल लिया.