सिटीपोस्टलाईव:( अभिषेक कुमार सिंह )गरीबों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना भी लूट खसोट की शिकार हो गई है.इस योजना के तहत नेता से लेकर मुखिया और नौकरशाह अपनी जेब भरने में जुटे हैं.यह सनसनीखेज खुलासा आरटीआई यानी सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के जरिये हुआ है .आरटीआइ कार्यकर्ता राम इकबाल मिश्र के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने की राशि ऐसे व्यक्ति को दी गई है, जो पहले ही अपना घर बनवा चुके हैं. उन्होंने जब पूरे मामले में ग्रामीण विकास विभाग के सचिव को पत्र लिखकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया तब जाकर यह खुलासा हुआ कि ज्यादा मामलों में स्थानीय अफसरों की संलिप्तता है.
पटना जिले के कुरकुरी पंचायत, नालंदा के हिलसा प्रखंड के श्रीनगर, नवादा के कौआकोल प्रखंड के किंजार, गायघाट और पकड़ीबेरामा, पश्चिम चंपारण के तेहरा, कैमूर के खनहा, कटिहार के सिसी और मधेपुरा के मधेसी में मुखिया और पंचायत सचिव के कारनामे से परेशान ग्रामीणों ने आरटीआइ के जरिये प्रधानमंत्री आवास योजना में घरों के निर्माण में राशि हड़पने का खुलासा कर दिया है. ऐसे मामले सामने आए हैं कि दूसरे के पक्के घर को दिखाकर 70 से 80 हजार रुपये तक राशि का फर्जी भुगतान करा लिया गया. इन मामलों में संबंधित डीएम ने जांच के आदेश दिए हैं लेकिन अभीतक कोई कारवाई नहीं हुई है.
छपरा ग्रामीण क्षेत्र से भी एक रोचक मामला आरटीआई के जरिये सामने आया है,जहाँ नौशाद ने आरटीआइ की अर्जी से रौजा में कागज पर निर्मित पक्के रास्ते में मनरेगा से 6.21 लाख भुगतान के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है. इस मामले में छपरा जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने जांच का आदेश दिया है. इस गड़बड़ी में एक नेता, जो ठेकेदार भी है, ने जमकर अपने रसूख का इस्तेमाल कर मामले को दबाने में पूरी ताकत लगा दी थी. लेकिन, मुहल्ले के नागरिकों ने डीडीसी के सामने पूरे प्रकरण को उठाया तो नेता का सारा रसूख धरा का धरा रह गया.
अरवल के उसरी में ग्रामीण शिवचरण मांझी ने आरटीआइ से पंचायत में मनरेगा कार्य में गड़बड़ी को उजागर किया है. बिना कार्य कराए 2.35 लाख के भुगतान के मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने मनरेगा के तहत करवाए गए कार्यों का भौतिक सत्यापन करवाने का आदेश बीडीओ को दिया है.आरटीआइ कार्यकर्ता शिवप्रकाश राय की मानें तो प्रधानमंत्री आवास योजना और मनरेगा में अनियमितता चरम पर है. बिना काम कराए फर्जी भुगतान के दर्जनों मामले कई जिलों में दर्ज हैं. मुखिया, पंचायत सचिव, ठेकदार नेता और अफसर तक की संलिप्तता सामने आई है लेकिन कोई कारवाई नहीं हो रही .