लालू परिवार पर आई मुसीबतों के लिए पगला बाबा नहीं हैं जिम्मेवार, आज वे होते तो शायद…
सिटी पोस्ट लाइव : लालू परिवार इनदिनों पारिवारिक समस्याओं से झुझ रहा है. हम उनपर घोटालों और अन्य आरोपों पर कार्रवाई की बात नहीं कर रहे, ये तो राजनीतिक घरानों के लिए आशीर्वाद के जैसा है. हम बात कर रहे हैं लालू की गिरती सेहत और बड़े बेटे तेजप्रताप का बावलापन. क्योंकि पिछले कुछ दिनों में तेजप्रताप लगातार मीडिया की सुर्ख़ियों में बने हुए हैं. कारण तेजप्रताप का अपनी पत्नी ऐश्वर्या से तलाक.
वहीँ मीडिया लालू परिवार पर पड़ी विपत्त्यों को अलग-अलग ढंग से समझाने में जुटा है. कोई कहता श्राप है तो कोई कहता गरीबों की हाय है. इन सब में लालू के सबसे बड़े गुरु जिन्हें लालू भगवन विष्णु का अवतार मानते थे, जो पगला बाबा के नाम से जाने जाते हैं. उन्हें भी नहीं बक्शा जा रहा.
मीडिया में ख़बरें चल रही है कि शायद पगला बाबा का श्राप लालू के परिवार को लगा है. जबकि पगला बाबा का श्राप ही असल में आशीर्वाद हुआ करता था. बताया जाता है कि जब लालू यादव अंतिम बार उनसे मिले थे, तो उन्होंने लालू के पूरे परिवार को श्राप दिया था कि वो मिट्टी में मिल जायेगा… जिसे इनदिनों लालू के परिवार पर आई मुसीबतों से जोड़कर देखा जा रहा है… लेकिन हकीकत बिल्कुल उलट है. पगला बाबा से लालू का सम्बन्ध एक मित्र, भाई और गुरु से कहीं ऊपर था… पगला बाबा कभी लालू परिवार का अहित सोंच भी नहीं सकते थे.
लेकिन सबसे बड़ी बात कि आखिर पगला बाबा कौन थे और लालू का पगला बाबा से क्या सम्बन्ध था. जिसे लेकर उन्हें लालू परिवार पर आई मुसीबतों के लिए जिम्मेवार मान रही है. आइये जानें कि लालू परिवार और लालू यादव के लिए कितने मायने रखते थे पगला बाबा.
विन्ध्याचल के तुलसी तलैया नामक स्थान पर विभूति नारायण सिंह उर्फ पगला बाबा का आश्रम है. जिन्होंने वर्षों तक उसी स्थान पर साधना कर सिद्दी प्राप्त की. पगला बाबा पूरी तरह से अघोरी साधक रहे. उनके आश्रम में लालू यादव सहित तमाम नामचीन अधिकारी, राजनेता और व्यापारी दर्शन पूजन के लिए आते रहे. कइयों की साधना भी यहीं पर हुआ करती थी. अपने तीखे तेवर और अटपटे बोल के लिए विख्यात पगला बाबा के पास काफी प्रभावशाली लोगों का आना-जाना लगा रहता था. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के उनके आश्रम में आने के बाद से वे काफी चर्चा में आ गए.
लालू यादव चारा घोटाले के आरोप में जेल जाने के पूर्व भी इनकी शरण मे आये थे। उसी दौरान उन्होंने कहा था कि बाबाजी ने बचपन में मेरे जीवन की रक्षा तब की थी जब परिजनों और डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी। ऐसे महान संत को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है. यही नहीं पगला बाबा ने आश्रम दो कुत्ते पाल रखे थे. जंगल में स्थित आश्रम में यही कुत्ते उनकी सुरक्षा कवच रहे. यही नहीं वह हमेशा इन कुत्तों से ऐसे खेलते रहते थे, जैसे उनका इनसे जन्मों का नाता हो.
बिहार विधानासभा चुनाव से पहले लालू यादव तुलसी तलैया आश्रम में आये थे। पगला बाबा ने तंत्र साधना की थी। इससे पहले चारा घोटाले से बचने के लिए भी लालू ने तंत्र साधना करायी थी। हालांकि 13 अप्रैल 2017 को पगला बाबा ने विंध्य क्षेत्र के तुलसी तलैया के पास स्थित अपने उसी आश्रम में शरीर छोड़ दिया. इस बात का पता जब लालू को चला तो उनके भी आँखों से आंसू छलक उठा. वे भी बाबा का अंतिम दर्शन करना चाहते थे लेकिन उस दौरन लालू कानूनी पचड़े में फंसे पड़े थे.
कहते हैं कि लालू यादव जब भी मुश्किलों में घिरते या परिवार पर कोई मुसीबत आती तो वे बाबा से मिलने विन्ध्याचल पहुँच जाते थे. बाबा उन्हें सही राह और पूजा-पाठ कर उनकी मुसीबतों को हर लेते थे. आज लालू चारा घोटने में सजायफ्ता हैं. उनकी सेहत लगातार बिगडती जा रही है… ऊपर से बड़े बेटे के बावलेपन ने उनकी मुसीबत और बढ़ा दी है… एकबार वो स्वस्थ होते हैं कि फिर पारिवारिक कलह के कारण बीमार हो जाते हैं. इतना जरुर कहा जा सकता है कि यदि आज पगला बाबा जिन्दा होते तो लालू परिवार की मुसीबतों को जरूर हर लेते और तेज प्रताप जो तलाक के लिए मन्नत मांगते चल रहे उन्हें भी ठीक कर घर वापसी करते.
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