सिटी पोस्ट लाईव ; अब बिहार सरकार ट्रस्ट के लिए नया कानून के लिए नया ड्राफ्ट बनाने जा रही है. नए कानून का ड्राफ्ट तैयार हो गया है.इसे जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. सरकार ने यह नया ड्राफ्ट, ट्रस्ट बनाकर चल -अचल संपत्ति के फर्जीवाड़े किये जाने की आ रही शिकायतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है.बिहार सरकार के ट्रस्टों के संचालन से संबंधित इस नए कानून के लागू हो जाने के बाद फर्जीवाड़े पर रोक लग जाएगा. यह नया कानून मध्यप्रदेश के कानून के आधार बनाया गया है. इसके पूर्व निबंधन महकमे ने महाराष्ट्र के काफी पुराने बाम्बे ट्रस्ट कानून का अध्ययन किया था. संबंधित अधिकारियों ने बताया कि बाम्बे ट्रस्ट कानून बिहार के अनुकूल नहीं है.
वहां ट्रस्ट की संख्या अधिक होने की वजह से ट्रस्ट कमिश्नर का भी प्रावधान है.इसके बाद मध्य प्रदेश के ट्रस्ट कानून के अध्ययन के बाद यह बात सामने आई वहां का कानून बिहार के अनुकूल है. ट्रस्टों पर नकेल कसने के लिए बने कानून के ड्राफ्ट में ट्रस्ट के संचालन की पूरी प्रक्रिया देखने का वैधानिक अधिकार डीएम को दिया गया है. किसी जिले मे अगर ट्रस्ट की सम्पति बेची जाती है या फिर ट्रस्ट अपने स्तर से किसी भी तरह की गतिविधि करता है व ट्रस्ट से जुड़े़ लोग ट्रस्ट की आड़ में विदेश यात्रा आदि पर जाते है तो इसके लिए उन्हें अब जिले के डीएम से लिखित अनुमति लेनी होगी. वर्तमान में निबंधन विभाग के स्तर पर ट्रस्ट की गतिविधि को देखा जाता है जो सिर्फ कागज पर है. ट्रस्ट की अद्यतन चल-अचल संपत्ति व अन्य किस्म की गतिविधि की जानकारी भी ट्रस्ट को अनिवार्य रूप से जिलाधिकारी को देनी होगी.
गौरतलब है कि यह सुझाव मुख्यमंत्री के लोक संवाद कार्यक्रम में आया था जिसके ऊपर सरकार ने अमल करना शुरू कर दिया है.लोक संवाद में यह शिकायत की गई थी कि ट्रस्टी अपनी मर्जी से बगैर निबंधन महकमे को सूचना दिए ट्रस्ट की संपत्ति को इधर-उधर कर रहे है. विदेश यात्रा भी कर रहे हैं. बिहार में ट्रस्ट से जुड़ा अपना कोई कानून नहीं है और अभीतक यह भारतीय ट्रस्ट एक्ट से यह संचालित होता है.