सिटी पोस्ट लाइव :बिहार विधान परिषद के 24 सीटों के लिए होनेवाले चुनाव की तारीखों के लिए अभी इंतज़ार करना पड़ेगा.सूत्रों के अनुसार यह चुनाव लगभग 2 महीनों के लिए टल गया है. तारीखों के आगे बढ़ने से मैदान में उतरे उम्मीदवारों को प्रचार के लिए ज्यादा समय तो मिलेगा, लेकिन इससे ज्यादा फायदा BJP को होता दिख रहा है. पार्टी को इस देरी से नए वोटर मिल जाएंगे.बिहार विधान परिषद चुनाव की तैयारियों में लगी राजनीतिक पार्टियां में आज की तारीख में सबसे मजबूत RJD है.सबसे ज्यादा जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष यादवों ही हैं.हाल में हुए चुनावों के बाद यादव जाति के नए अध्यक्षों की संख्या 10 तो उपाध्यक्षों की संख्या 12 हो गई है. इसी तरह मुस्लिम समुदाय के 3 अध्यक्ष और 4 उपाध्यक्ष चुने गए हैं. कुछ ऐसा ही हाल मुखिया पदों का भी है.
यह वो वोटर हैं, जो 24 सीटों पर वोट कर विधान परिषद में सदस्यों को भेजेंगे.
BJP परेशान है क्योंकि खाली हुई 24 में 13 उसकी जीतीं गई सीटें थीं. अब इसे बरकरार रखने के लिए पार्टी को नगर-निकाय चुनाव का सहारा है, क्योंकि शहरी इलाकों में उसका प्रभाव पहले से रहा है.यही वजह है कि BJP चुनाव के आगे बढ़ जाने से राहत की सांस ले रही है.नगर-विकास विभाग, भाजपा कोटे के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के पास है. उनका विभाग तेजी से नगर-निकाय चुनाव से जुड़ी तैयारियां पूरी करने में लगा है. नगर-निकाय के चुने गए जनप्रतिनिधि भी विधान परिषद् के स्थानीय प्राधिकार कोटे की सीटों के वोटर होते हैं. नगर-निकाय के चुनाव पहले संपन्न हो जाते हैं तो यह लोग भी विधान परिषद चुनाव में वोट कर सकेंगे. इस समय बिहार के ज्यादातर नगर निकाय भंग हैं.
भाजपा पंच-सरपंच को भी वोट का अधिकार दिलाने की कोशिशों में लगी है. पार्टी से आने वाले पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी कई बार इसके पक्ष में बयान दे चुके हैं. उनके विभाग की तरफ से केंद्र सरकार को इससे जुड़ा प्रस्ताव भी भेजा गया है. स्थानीय प्राधिकार कोटे की सीटों के चुनाव में पंच-सरपंचों को अभी तक वोटिंग का अधिकार नहीं है. सरकार ने हाल ही में सरपंच की शक्तियां बढ़ाई हैं. माना जा रहा है कि इससे सरपंचों का सरकार के प्रति झुकाव बढ़ा है. अगर इन्हें वोटिंग का अधिकार मिल जाता है, तो यह सत्ता पक्ष के लिए अच्छी खबर होगी.