शराबियों की गोलबंदी में जुटे मांझी, कहा- सरकार बनी तो ख़त्म कर देगें शराबबंदी

City Post Live

शराबियों की गोलबंदी में जुटे मांझी, कहा- सरकार बनी तो ख़त्म कर देगें शराबबंदी

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री हम पार्टी के सुप्रीमो जीतन राम मांझी अब राज्य भर के शराबियों को गोलबंद करने में जुटे हैं. चुनाव में शराबियों की अपनी पार्टी के और महागठबंधन के पक्ष में गोलबंद करने के लिए मांझी ने एक बड़ा ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा है कि साल 2020 के विधानसभा चुनावों के बाद अगर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनती है, तो शराबबंदी कानून को रद्द कर दिया जाएगा. आज शनिवार 6 अक्टूबर को जहानाबाद में मांझी ने कहा कि शराब के मामलों में जितने भी लोग जेल में बंद है उन्हें भी रिहा किया जाएगा. शराबबंदी कानून में गिरफ्तारी और सजा होने के हाल में आये ताजा आंकड़ों की वजह से यह कानून फिर से चर्चा में है.

जीतन राम मांझी काफी पहले से बिहार में शराबबंदी का विरोध करते रहे हैं. मांझी पहले शराबबंदी कानून को तालिबानी कानून भी बता चुके हैं. उन्होंने कहा था कि इस कानून की वजह से सिर्फ गरीब और निर्दोष लोग ही जेल में हैं. जबकि बड़े-बड़े माफिया ऐश कर रहे हैं. मांझी ने एक बार यह भी कहा था कि अगर उनकी मां जिंदा होती तो जेल में होती. क्योंकि वो पूजा-पाठ के दौरान देवी-देवताओं को शराब चढ़ाया करती थी.मांझी अपने समाज के लिए शराब के इस्तेमाल देने की छोट की मांग बीजेपी के साथ रहते हुए भी कर चुके हैं.

शराबबंदी से जुड़े ताजा आंकड़े सामने आने के बाद कि इस साल 12 सितंबर तक शराब पीने और इसकी तस्करी के जुर्म में करीब 1.33 लाख लोगों पर मुकदमा हुआ है. जबकि सिर्फ 141 को ही अभी तक सजा हुई है. सजा पाने वालों में, शराब पीने वाले 52 और बेचने वाले 89 आरोपी हैं, राजनीति तेज हो गई है. गौरतलब है कि 1 अप्रैल 2016 से लागू हुई शराबबंदी के बाद इस साल 12 सितंबर 2018 तक पूरे सूबे में कुल 1.33 लाख लोगों के खिलाफ इस कानून की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है. इस कानून को लेकर बिहार की नीतीश सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर रही है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी आरोप लगाते रहे हैं कि शराबबंदी के अधिकतर मामलों में गरीबों और दलितों को ही फंसाया जा रहा है, इसलिए यह कानून गरीब विरोधी है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार कह चुके हैं कि वे अब किसी भी कीमत पर इस कानून से पीछे नहीं हटेंगे. हालांकि इस कानून को लेकर कुछ विवादों की वजह से इसी साल जुलाई माह में कुछ प्रावधानों को बदल दिया गया था. इसे संशोधन के रूप में बिहार कैबिनेट से मंजूरी के बाद विधानसभा में पारित कराया गया था. लेकिन अब जीतन राम मांझी के शराबबंदी कानून को ख़त्म कर देने के ऐलान के बाद एकबार फिर से शराबबंदी को लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है.

Share This Article