लोहरदगा लोकसभा सीट पर सुदर्शन भगत के सामने जीत की हैट्रिक लगाना बड़ी चुनौती
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड की लोहरदगा लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच इस बार भी कड़ी टक्कर देखने की मिल सकती है। पिछले दो चुनाव से भाजपा के सुदर्शन भगत जीत रहे हैं। निर्वाचन क्षेत्र में इस बार भाजपा के लिए परिस्थितियां भिन्न हैं। दोनों जीत में निर्दलीय उम्मीदवार चमरा लिंडा की अहम भूमिका थी। चमरा लिंडा इस बार चुनावी मैदान में नहीं हैं, तो इस बदली हुई परिस्थिति में क्या सुदर्शन भगत इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने में सफल होंगे। उनके लिए यह एक बड़ी चुनौती है। भाजपा के चुनावी रणनीतिकार भी आमने-सामने की लड़ाई के खतरे को बखूबी समझ रहे हैं । मगर वे इस बात को लेकर भी आश्वस्त हैं कि मोदी है, तो मुमकिन है। इसलिए वे चुनावी बिसात पर हरेक मोहरे को टटोल रहें हैं । 2014 के लोकसभा चुनाव में भी चमरा लिंडा ने अपने जोरदार प्रदर्शन से कांग्रेस के गणित को बिगाड़ कर रख दिया था। इस बार चमरा लिंडा झारखंड मुक्ति मोर्चा में हैं। झामुमो और कांग्रेस के बीच हुई चुनावी समझौते में लोहरदगा सीट कांग्रेस के खाते में गई है। लिहाजा कांग्रेस और भाजपा के बीच आमने-सामने की लड़ाई है। मगर झापा प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता व पूर्व विधायक देवकुमार धान इस लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने का भरपूर प्रयास कर रहें हैं। फिर भी भाजपा को यह सीट बचाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। 24 अप्रैल को लोहरदगा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनावी दौरे और मुख्यमंत्री रघुवर दास के इस संसदीय क्षेत्र में लगातार चुनावी दौरे के बाद भाजपा की स्थिति पहले से बेहतर हुई है। मुख्यमंत्री के दौरे से सुदर्शन भगत के प्रति जो थोड़ी-बहुत नाराजगी थी, वह अब दूर हो गई है।
शीर्ष नेता डैमेज कंट्रोल में लगे
तेली समाज का एक वर्ग भाजपा के खिलाफ गोलबंद हो रहा है। भाजपा के शीर्ष नेता डैमेज कंट्रोल में लगे हुएं हैं। लोहरदगा कभी कांग्रेस का अभेद्य दुर्ग माना जाता था। इस सीट पर कांग्रेस का आठ बार कब्जा रहा है। मगर धीरे-धीरे भाजपा ने पूरे संसदीय क्षेत्र में अपनी गहरी पैठ बनाते हुए यहां से कांग्रेस को बेदखल कर दिया है। लोहरदगा संसदीय क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से तीन सीटों- गुमला,सिसई और मांडर पर भाजपा का कब्जा है। जबकि लोहरदगा विधानसभा सीट व बिशुनपुर विधान सभा सीट पर क्रमश: कांग्रेस के सुखदेव भगत और झामुमो के चमरा लिंडा काबिज हैं। भाजपा के चुनावी रणनीतिकार काफी योजनावद्ध तरीके से काम कर रहें हैं । भाजपा ने बूथ स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दिया है। बाहरी चुनावी प्रचार-प्रसार के साथ-साथ जमीनी स्तर पर चल रहे सघन मतदाता संपर्क अभियान के बदौलत भाजपा अपनी स्थिति लगातार मजबूत करती जा रही है। वैसे भाजपा की नजर झापा प्रत्याशी पूर्व विधायक देव कुमार धान पर भी है, जो लगातार चुनावी संघर्ष को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रहें हैं। यदि धान का प्रदर्शन जोरदार रहा है तो इसका नुकसान कांग्रेस को ही होगा। बहरहाल भाजपा किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है और लगातार सदान व सरना मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। इसमें उसे अपेक्षित सफलताएं भी मिल रही हैं। अब देखना है कि 29 अप्रैल को होने वाले मतदान में मतदाताओं का आशीर्वाद किस उम्मीदवार को मिलता है।