सिटी पोस्ट लाइव : (श्रीकांत प्रत्यूष ) सुबह के 10 बजे हैं. लालू यादव लूंगी टी-शर्ट पहनकर मोराबादी मैदान के गुस्ट हाउस के कमरे के दरवाजे के ठीक सामने की कुर्सी पर बैठे हैं. उनके दरवाजे के बाहर सैकड़ों समर्थकों का आना जाना जारी है. सब बारी बारी से आकर उनका पैर छू रहे हैं.को अपनत्व और हमदर्दी दिखाने आया है तो कोई अपने टिकेट की दावेदारी पक्की कराने को अपना चेहरा लालू यादव को दिखाने को बेताब है. लालू यादव बिना बात किये सबके भाव को समझ रहे हैं. बगल की कुर्सी पर बैठे जीतन राम मांझी लालू यादव को अपने बेटे की लालू भक्ति के बारे में बता रहे हैं. वो कह रहे हैं कि आपके साथ नहीं आने पर बेटे ने तो आत्म-हत्या की धमकी तक दे डाली थी. इसीलिए आज वो अपने बेटे-बहू सबके साथ उनसे रांची मिलने आये हैं.
लालू यादव के सामने शिवानंद तिवारी जी बैठे हैं. वो लालू यादव को करीब से निहार रहे हैं. वो बोल कम रहे हैं, लेकिन उनकी नजर लालू यादव से मिलने आनेवालों की गतिविधि पर टिकी है.एनडीए के बीच सीटों के बटवारे को लेकर मचे घमाशान की खबर यहाँ पहुँच चुकी है. लालू यादव थोड़ी देर में जेल जानेवाले हैं लेकिन उसकी चिंता उन्हें बिलकुल नहीं . ऐसा लगता है कि इस चुनौती और संकट की घड़ी को भी एक अवसर की तरह ले रहे हैं.शरीर कमजोर दिख रहा है लेकिन चेहरा पर बीमारी की छाप बिलकुल नहीं दिख रही है. लालू यादव अपनी बीमारी को भी अपनी हंसी में छुपाने की असफल कोशिश करते नजर आ रहे हैं. लालू यादव बीमार हैं लेकिन फिर भी उन्हें सीबीआई कोर्ट में आज सरेंडर करना है. लेकिन रांची सीबीआई कोर्ट में सरेंडर करने से पहले जो हंसी और सुकून लालू यादव के चहरे पर दिख रहा है ,उसका अर्थ किसी की समझ में नहीं आ रहा. मिलनेवाले ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि लालू यादव के सामने मुंह लटका कर जाना है या मुस्कुरा कर .
उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी के द्वारा सीट बटवारे के सामने आये फार्मूला को नकार देने के बाद लालू यादव अचानाक बेहद सक्रीय दिखे.रांची के सीबीआई कोर्ट में सरेंडर करने से पहले लालू यादव के चेहरे पर चिंता कम मुस्कान ज्यादा दिखी. वो मुस्कुराते नजर आये .अपने समर्थकों से प्यार से ऐसे मिलते नजर आये, जैसे वो जेल नहीं बल्कि राजनीतिक यात्रा पर निकल रहे हों.दरअसल, उनकी मुस्कराहट की कई वजहें थीं. उन्हें पता था कि मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उन्हें जेल की जगह अस्पताल भेंज दिया जाएगा. कुशवाहा की नाराजगी को लेकर उम्मीद बंधी है . इस बीच उनके पास उनकी पार्टी का एक नेता यह खबर लेकर पहुँच गया कि रामविलास पासवान के दोनों भाई पशुपति पारस और रामचंद्र पासवान अपने बड़े भाई रामविलाश पासवान के बेटे चिराग पासवान से नाराज हैं. वो इतने नाराज हैं कि लालू यादव के साथ हाथ मिलाने को तैयार हैं. फिर क्या था लालू यादव अपनी बीमारी और जेल जाने के संकट को भूल गए.उन्होंने पासवान के छोटे भाई रामचंद्र पासवान से बात की . उन्हें समझाया कि एनडीए में रहते उनका जीतना नामुमकिन है. अगर वो उनके साथ आ जाते हैं तो जीत सुनिश्चित है.
हालांकि आरजेडी के शिवानन्द तिवारी जैसे अनुभवी नेता ये कहते नजर आये कि पासवान के भाइयों की इतनी औकात नहीं है कि वो पासवान से अलग राजनीतिक राह लेने का फैसला कर सकें. लेकिन लालू यादव को एक उम्मीद की जो किरण दिखी थी ,उसे नजर-अंदाज करना वो नहीं चाहते.वो जानते हैं कि रामचंद्र पासवान और पशुपति पारस के लिए रामविलास पासवान के खिलाफ जाना संभव नहीं लेकिन उन्हें ये उम्मीद भी थी कि दोनों भाई उन्हें अपना फैसला बदल देने को मजबूर कर सकते हैं. इसी उम्मीद के साथ वो पासवान के छोटे भाई रामचंद्र पासवान को समझाते नजर आये.
ये कह पाना मुश्किल है कि अपने भतीजे चिराग पासवान की वजह से ये दोनों भाई अपने बड़े भाई पासवान से अलग राजनीतिक लाइन ले पायेगें या नहीं, लेकिन इससे लालू यादव के चहरे पर मुस्कान जरुर आ गई. राजनीति की बारीकियों को लालू यादव से ज्यादा भला कौन समझ सकता है, ऐसे में पासवान के भाइयों की नाराजगी की खबर से लालू यादव के चहरे पर आई मुस्कान का अर्थ आरजेडी के दिग्गज नेता भी समझने की कोशिश करते नजर आये.लेकिन वो कितना समझ पाए ,कह पाना मुश्किल है.
आब साढ़े दस बज गया है. भोला यादव संदेश लेकर आ गए हैं- 11 बजे तक कोर्ट पहुंचना है. -लालू यादव पिंक कुर्ता और सफ़ेद पायजामे पहनकर दो मिनट में कोर्ट जाने को तैयार हो गए. शिवानन्द तिवारी उनके कुर्ते की तारीफ़ करते हैं. लालू यादव अपने कुर्ता एकबार फिर से निहारते हैं . उम्मीद की जा रही थी कि लोगों को अपनी बीमारी दिखाने के लिए लालू यादव ठीक से नहीं चल पाने का नाटक करेगें ,लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. लालू यादव पिंक कुर्ता और सफ़ेद पायजामे में सज-धज कर आत्म-विश्वास से लबरेज ऐसे कदम बढाते नजर आये जैसे, वो पूरी तरह से फिट हों, उन्हें अपने परिवार पर आये संकट की कोई परवाह ही न हो और ना ही जेल जाने का डर . आत्म-विश्वास से लबरेज, तंदुरुस्त और उर्जावान दिखने की लालू यादव की इस कोशिश का अर्थ समझने के लिए राजनीतिक दिग्गज अपना माथा खपाते नजर आये.