VIDEO-शर्म …शर्म करो नौकरशाहों ,जिसकी जयंती मना रहे हो उसके परिजन हो रहे अपमानित

City Post Live - Desk

करोड़ो रुपये खर्च कर कुंवर सिंह की वीर गाथा जन-जन तक पहुचाने के चक्कर मे वंशजो को भूली जिला प्रशासन, वंशज कर रहे अपने आप को अपमानित महसूस

सिटी पोस्ट लाइव : भोजपुर के जगदीशपुर में तीन दिवसीय राजकीय समारोह के हुए आगाज में जहां करोड़ो रूपये खर्च कर बाबू वीर कुंवर सिंह के गाथा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च हुए, वहीं जिला प्रशासन ने उनके वंशजो को भूल कर कुंवर सिंह के आत्मा को ठेस पहुंचाया है। जिसको लेकर उनके वंशज अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे है। पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत सोमवार को कार्यक्रम का आगाज हुआ, जिसमें 1857 की क्रांति के महानायक वीर कुंवर सिंह का विजयोत्सव दिप प्रज्वलित कर शुरू हुआ। कार्यक्रम का उद्धाटन करने सूबे के मुखिया नीतीश कुमार समेत केंद्रीय मंत्री व राज्य सरकार के कई मंत्री व विधायक उपस्थित, लेकिन इस कार्यक्रम में जिला प्रशासन के बाबूओ ने वीर कुंवर सिंह के वंशजों को ना ही मंच पर जगह दी और ना ही उनको किले के अंदर प्रवेश दिया।

जिससे जगदीशपुर के आम लोगों के अलावा उनके वंशजो में आक्रोश व्याप्त है। इस संदर्भ में कुंवर सिंह के पौत्र वधु पुष्पा सिंह ने जिला प्रशासन पर अनदेखी करने और अपमान करने का आरोप लगाया है। जब उनके वंशज किले में अंदर प्रवेश कर रहे थे तभी जिला प्रशासन ने उनलोगों को जाने से रोक दिया और वीआईपी पास की मांग करने लगे। जिसे ज़िला प्रशासन ने मुहैया ही नहीं कराया था। इसके बाद मौके पर गहमा-गहमी हुई लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उनकी एक ना सुनी।

वीर कुंवर सिंह के वंशजो ने कहा कि जहां करोड़ो रूपया खर्च किया गया, वहीं दूसरी तरफ कुंवर सिंह के परिजन भूखे मर रहे हैं। उनको देखने वाला कोई नहीं है। सरकार के साथ-साथ जिला प्रशासन भी हम लोगों के साथ गलत व्यवहार कर रही है। मौके पर उपस्थित कुंवर सिंह की पौत्र बधू पुष्पा सिंह ने कहा कि जहां एक तरफ सरकार करोड़ो रूपया लगाकर हमारे ही पूर्वजों का विजयोत्सव मना रही है तो वही दूसरे तरफ उस स्थान पर हमी लोगों को जाने से रोका जा रहा है। इससे शर्मनाक बात हमारे लिये और क्या होगी। हम लोग इस तरह पानी मे करोड़ो रूपये बहाने और विजयोत्सव को राजनीतिक मंच बनाने से खुश नहीं है। बहरहाल मामला चाहे जो हो लेकिन जिस तरह जिला प्रशासन के अधिकारियों का उन्हें किले में जाने से रोकना और मंच पर जगह ना देना, कहीं ना कहीं बाबू वीर कुंवर सिंह के आत्मा को ठेस पहुंचाने का काम किया गया है।

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