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आज भी सरकार में BJP की नहीं है कोई हैसियत, अपनी मर्जी से सरकार चला रहे नीतीश कुमार.

BJP नेताओं की सलाह और नाराजगी से बेपरवाह हैं मुख्यमंत्री, BJP प्रदेश अध्यक्ष दिख रहे लाचार.

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सिटी पोस्ट लाइव: BJP भले बिहार एनडीए में बड़े भाई की भूमिका में आ जाने का भ्रम पाले लेकिन सच्चाई ये है कि नीतीश कुमार आज भी BJP नेताओं की बिलकुल परवाह नहीं करते. सरकार के निर्णय में बीजेपी की कोई भूमिका नहीं.आज भी बीजेपी के मंत्री सरकार में पिछलग्गू की भूमिका में हैं. बीजेपी की राजनीतिक ताकत भले ही बढ़ गई है  लेकिन सरकार के अंदर वह आज भी पॉवरलेस है. मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार जो चाहे निर्णय ले सकते हैं, BJP के बड़े नेताओं का विरोध भी उनके लिए कोई ख़ास मायने नहीं रखता.

सूत्रों के अनुसार जब सरकार बनी थी तब बीजेपी के केन्द्रीय नेताओं ने नीतीश कुमार को साफ़ ये संकेत दे दिया था कि उसकी सहमति से ही सारे सरकारी फैसले होगें.एक BJP के नेता ने तो यहाँ तक कह दिया था कि सरकार के किसी निर्णय की जानकारी उन्हें अखबार से नहीं मिलनी चाहिए. मतलब साफ़ था मुख्यमंत्री को सारे फैसले बीजेपी को भरोसे में लेकर लेने होगें.लेकिन  बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल के कोरोना संकट में ऑल पार्टी मीटिंग में दिये प्रस्ताव को सरकार ने कोई तजब्बो नहीं दिया. बीजेपी अध्यक्ष ने सरकारी फैसले  पलटवाने के लिए सोशल मीडिया पर निर्णय का विरोध भी किया लेकिन नीतीश कुमार पर कोई फर्क नहीं पडा.

अब सके जेहन में सवाल उठ रहा है कि क्या आज भी सरकार में बीजेपी की नहीं चल रही है.देखने से तो यहीं लगता है.आज भी नीतीश कुमार बीजेपी नेताओं को भरोसे में लिए वगैर सारे फैसले ले रहे हैं. आज भी उन्हीं अधिकारियों की सरकार में चलती है जिनकी पहले थी.बीजेपी नेताओं की सलाह और विरोध से सरकार बेपरवाह दिख रही है बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने नाईट कर्फ्यू लगाने की बजाए वीकेंड कर्फ्यू लगाने की मांग की थी. लेकिन बीजेपी अध्यक्ष के प्रस्ताव को खारिज कर नाईट कर्फ्यू लगा दिया गया.

भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल को जब लगा कि अपनी ही सरकार ने कोरोना पर वीकेंड कर्फ्यू लगाने के हमारे प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी में डाल दिया, तो उन्होंने फेसबुक पर अपनी भड़ास निकाली. जानकार बताते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष द्वारा फेसबुक पर नीतीश सरकार के निर्णय पर सवाल उठाने से उनकी बेबसी और कमजोरी दिखती है. सरकार में वे बड़े भाई की भूमिका में हैं. ऐसे में उन्हें सोशल मीडिया की बजाए सरकार में अपनी बात को मजबूती से रखकर निर्णय को बदलवाना चाहिए था.

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