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1906 में कोलकाता के कांग्रेस अधिवेशन से निकली स्वराज की मांग: डॉ. रामेश्वर

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डा रामेश्वर उराँव आज राष्ट्र निर्माण की अपने महान विरासत कांग्रेस की श्रृंखला धरोहर की तीसवीं वीडियो को अपने सोशल मीडिया व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक एवं ट्विटर पर जारी पोस्ट को शेयर करने के उपरान्त मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान अपने उद्गगार व्यक्त करते हुए कहा कि 1929 में लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में 26 जनवरी 1930 को प्रथम स्वाधीनता दिवस मनाने के संदेश ने पूरे देश को क्रांति की भावना से ओतप्रोत कर दिया , यहीं से अंग्रेजी हुकूमत के पतन की शुरुआत हुई, आज का 29 वां धरोहर देशवासियों को स्वतंत्रता संग्राम की उसी गाथा से रूबरू कराता है, डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि 1905 के बंगाल विभाजन के बाद 1906 में कोलकाता के कांग्रेस अधिवेशन से निकली स्वराज की मांग, जालियांवाला बाग नरसंहार के बाद भारतीय जनमानस में जोर पकड़ने लग गई थी। असहयोग आंदोलन ने स्वराज की इस मांग को मजबूती दी और पंडित नेहरू, सुभाष चंद्र बोस जैसे युवा क्रांतिकारी नेताओं के रूप में स्वराज को ताकत मिलने लगी। साल था 1929 लाहौर में रावी नदी का तट, कांग्रेस का अधिवेशन और अध्यक्ष थे।

युवा जवाहरलाल नेहरू और अपने अध्यक्षीय भाषण में ही नेहरु जी ने देश को विदेशी शासन से मुक्त कराने के लिए आह्वान कर दिया। पंडित नेहरू ने पूर्ण स्वराज से कम पर कोई समझौता नहीं करने के अपने संकल्प को मजबूती देने के लिए आधी रात को रावी नदी के तट पर भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक तिरंगा झंडा फहरा दिया। लाहौर के इस अधिवेशन से 26 जनवरी 1930 को प्रथम स्वाधीनता दिवस के रूप में देश भर में तिरंगा झंडा फहराया जाने का संकल्प निकला ।साथ ही गोल में सम्मेलन के बहिष्कार का निर्णय लेते हुए पूर्ण स्वराज को कांग्रेस ने अपना मुख्य लक्ष्य घोषित करके प्रस्ताव पारित कर दिया।

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