सिटी पोस्ट लाइव : बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने और विरोध प्रकट करने का अधिकार प्राप्त है पर भ्रष्टाचार के राजकुमार ललबबुआ तेजस्वी यादव इसकी पात्रता नहीं रखते क्योंकि इनके साइकिल के पहिए से भी भ्रष्टाचार की गंध आती है। इनकी राजनीतिक नौटंकी तो देखिए, लग्जरी गाड़ियों का काफिला साथ लेकर साइकिल पर चढ़कर निकले हैं। उसमें भी धन किसका लगा है ये भी संदिग्ध प्रतीत होता है, कारण कि इनकी फितरत रही है दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से संपत्ति अपने नाम लिखवाने की। आगे आगे साइकिल पीछे पीछे लग्जरी कारों का काफिला। इन्हें यह बताना चाहिए कि ये साइकिल किससे लिए हैं क्योंकि ये भी तो अपने पिता होटवार निवासी कैदी नंबर 3351 की तरह आदतन लालची हैं ही।
बिहार देश में पहला राज्य है जहाँ माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने अपने शासनकाल में अब तक 3 हजार 253 करोड़ 6 लाख 18 हजार 500 की धनराशि खर्च कर यहाँ के 1 करोड़ 32 लाख 31 हजार छात्र-छात्राओं को साइकिल मुहैया कराया है। जिससे समाज के गरीब तबके के बच्चे फर्राटे से साइकिल की सवारी करते हैं। बिहार के बेटा-बेटी साइकिल से गाँव के खेत खलिहान से निकल कर के कानून का राज और सशक्तिकरण का पर्याय बनकर उमड़े हैं।
उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष साइकिल चढ़कर निकले तो उन्हें इसी साइकिल से फुलवरिया, गोपालगंज जाकर उन भाई और परिजनों की संपत्ति लौटाना चाहिए था जिनसे इनके पिता कैदी नंबर 3351 ने संपत्ति लिखवा लिया। पर ये तो डाकबंगला चौराहे पर ही थम गए। फुलवरिया, गोपालगंज तक साइकिल चलाकर जाते और उनकी संपत्ति लौटाते तो बेनामी संपत्ति अर्जन का कुछ पाप भी धुलता। राजनीति में इनका दामन और चेहरा दागदार है, चाहे जो जतन कर लें ये बचने वाले नहीं हैं।