खतरे का निशान पार कर चूका है राजनीति का अपराधीकरण, SC ने खड़े किये हाथ
सिटी पोस्ट लाइव( कनक प्रत्यूष ) : दागी सांसदों और विधायकों से देश की संसद और विधान सभा को फिरहाल छुटकारा नहीं मिलेगा.दरअसल, भारत सरकार अपराधिक रिकॉर्ड वाले सांसदों से छुटकारा चाहती ही नहीं. आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के मनमाफिक आ भी गया है. सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने से मन कर दिया है. दरअसल, केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि ये मामला संसद का है. इसमे सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की दलील को मान लिया .सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में संसद को ही कानून बनाना चाहिए.
किस तरह से राजनीति का अपराधीकरण हुआ है इसका प्रमाण ये आंकड़ा है. 1042 सांसद-विधायकों पर गंभीर आपराधिक केस, बिहार और यूपी में दर्ज हैं. चुनाव के दौरान नामांकन के दौरान निर्वाचन आयोग में दायर हलफनामे में जनप्रतिनिधियों ने जो जानकारी दी है, वह आँखें खोल देनेवाला है.आंकड़े तो यहीं बता रहे हैं कि अपहर्ताओं की सदन और संसद बन गई है.राजनीति के अपराधीकरण में यूपी-बिहार सबसे आगे है.अपराधियों की सबसे बड़ा पनाहगार बीजेपी बन गई है.
एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच (न्यू) की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा पाकसाफ बतानेवाली बीजेपी के विधायकों पर सबसे अधिक अपहरण के मामले दर्ज हैं.उत्तर प्रदेश और बिहार में ऐसे अपराधिक पृष्ठभूमि के विधायकों की संख्या सबसे अधिक है. इन दोनों राज्यों में नौ-नौ विधायक ऐसे हैं जिन पर अपहरण के मामले दर्ज हैं.
तीसरा स्थान महाराष्ट्र आता है, जहां आठ विधायकों पर इस तरह के केस दर्ज हैं. नामांकन के दौरान निर्वाचन आयोग में दायर हलफनामे में जनप्रतिनिधियों ने यह जानकारी दी है. दोनों संगठनों ने 4856 सांसदों और विधायकों के हलफनामों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है कि 770 सांसद और 4086 विधायक अपराधिक पृष्ठभूमि के हैं. 4856 सांसद और विधायकों में 1042 यानी 21 फीसदी जन प्रतिनिधियों पर गंभीर किस्म के आपराधिक मामले दर्ज हैं. 1042 सांसद, विधायकों में से 64 यानी छह फीसदी के खिलाफ अपहरण और लोगों को अगवा करने के मामले दर्ज हैं.
राजनीति के अपराधीकरण में बिहार और यूपी सबसे आगे है.राज्य के लिहाज से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश और बिहार के सबसे अधिक विधायकों पर अपहरण के केस दर्ज हैं. यहां नौ-नौ विधायक अपराधिक रिकार्ड्स वाले हैं. महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर है.यहाँ आठ विधायकों पर लोगों को अगवा करने के आरोप हैं. पश्चिम बंगाल में 6 विधायक, ओडिशा और तमिलनाडु में चार-चार, आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में तीन-तीन विधायकों पर अपहरण के आरोप हैं.
सबसे ख़ास बात ये है कि जिन 64 सांसदों और विधायकों के खिलाफ अपहरण के केस दर्ज हैं उनमें सबसे अधिक 16 बीजेपी से जुड़े हुए हैं. छह-छह कांग्रेस और आरजेडी से ताल्लुक रखते हैं. राकांपा के ऐसे पांच नेता हैं जिन पर इस तरह के केस दर्ज हैं. बीजू जनता दल (बीजद) और द्रमुक के चार-चार नेता हैं जिनके खिलाफ अपहरण के मामले दर्ज हैं. सपा और तेलुगू देशम पार्टी के तीन-तीन नेताओं के खिलाफ अपहरण जैसे मामले दर्ज हैं. जबकि 4 सांसद और विधायक निर्दलीय हैं. 13 अन्य दलों से ताल्लुक रखते हैं.
नेशनल इलेक्शन वॉच (न्यू) की रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा के पांच और राज्यसभा के तीन सांसदों ने हलफनामे में यह घोषणा की है कि उनके खिलाफ अपहरण के मामले दर्ज हैं. लोकसभा के जिन दो सांसदों ने अपहरण के मामलों की जानकारी दी है, उनमें दो राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के हैं, एक सांसद केंद्र की मोदी सरकार में भागीदार केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी(लोजपा) और तीसरा सांसद निर्दलीय है. वहीं राज्यसभा में भाजपा, शिवसेना और समाजवादी पार्टी के एक-एक सांसदों पर इस तरह के मामले दर्ज हैं.