कोर्ट के फैसले का इंतज़ार ,जरुरत पड़ी तो लायेगें आर्डिनेंस-:पासवान
केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने देश में दलितों की नाराजगी को सही ठहराते हुए कहा है कि दलित का गुस्सा स्वाभाविक है. हमारी जनरेशन और चिराग पासवान की जनरेशन दोनों में बुनियादी फर्क है. हमारी जनरेशन के लोग थे, जिन्होंने जुल्म को सह लिया और गाली को सुन लिया, लेकिन जो नई जनरेशन के लोग हैं, वो इज्जत और सम्मान की जिंदगी जीना चाहते हैं. वो टूट सकते हैं, लेकिन झुकने को तैयार नहीं हैं. आजादी के बाद से जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा है, बाबा साहब अंबेडकर के विचार मुखर होकर सामने आ रहे हैं.पासवान ने आगे कहा कि दलितों की नाराजगी की वजह ये भी है कि हम अपनी बात को सही ढंग से रख नहीं पाते हैं. लोगों तक नहीं पहुंचा पाते हैं. क्योंकि हमारे जो आदमी हैं, दलित वर्ग के लोग हैं, वो आज भी बहुत पिछड़े हुए हैं. उनको बार-बार समझाने की जरूरत होती है कि हमने तुम्हारे लिए क्या किया? उदाहरण के लिए ऊना में और झज्जर में घटनाएं घटीं, झज्जर में थाने के सामने 5 दलितों को जिंदा जला दिया गया. सरकार ने ऊना के मामले में क्विक एक्शन लिया. ये सारी की सारी चीज़ें हुईं, लेकिन हम इन्हें ढंग से बता नहीं पाते हैं, नतीजा ये होता है कि इंप्रेशन ठीक से जा नहीं पाता है.”
पासवान ने दलितों के गुस्से के बारे में कहा कि यह गुस्सा सरकार के प्रति नहीं बल्कि कोर्ट के प्रति था क्योंकि कोर्ट ने कहा कि दलित उत्पीडन की शिकायत पर गिरफ्तारी नहीं होगी.गुस्सा कोर्ट के जजमेंट के खिलाफ था. हमें भी आक्रोश था, इसलिए हमारी पार्टी से चिराग ने तुरंत रिव्यू पेटिशन दाखिल किया.”पासवानने कहा कि इसके बाद हम लोग प्रधानमंत्री से मिले. इस पर पीएम मोदी ने कहा कि रिव्यू पेटिशन हम लोग दायर करेंगे. इस बीच छह दिन की छुट्टी हो गई, लेकिन हम इस बात को मानते हैं कि अगर लॉ मिनिस्ट्री और डिपार्टमेंट एक्टिव रहता, तो दिक्कत नहीं होती. सबको एक ही साथ बैठाकर, बजाए कि कागज यहां से वहां जाता, फाइल वहां से यहां आए, निर्णय ले सकता था क्योंकि सरकार ने तो निर्णय ले लिया था.पासवान ने कहा कि “कोर्ट का क्या जजमेंट होगा, वो तो हमारे हाथ में नहीं है. लेकिन हां, हम घोषणा करते हैं सरकार की तरफ से अगर कोर्ट इस मामले पर सही फैसला नहीं लेता है तो फिर ऑर्डिनेंस लाएंगे.”
Comments are closed.