चिराग ने BJP को चेताने के साथ-साथ CONGRESS की तरफ बढ़ा दिया है दोस्ती का हाथ

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चिराग ने BJP को चेताने के साथ-साथ CONGRESS की तरफ बढ़ा दिया है दोस्ती का हाथ

सिटी पोस्ट लाइव (विशेष ): एलजेपी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के संसद पुत्र चिराग पासवान वे-वजह राहुल गांधी की तारीफ़ और बीजेपी की निंदा नहीं कर रहे हैं. इसके पीछे ख़ास राजनीतिक मकसद है. चिराग सीटों की संख्या को लेकर भी ज्यादा चिंतित नहीं हैं. दरअसल, चिराग अपने भावी राजनीति को ध्यान में रखकर सबकुछ कर रहे हैं. रालोसपा के NDA से बाहर होने के बाद चिराग पासवान पांच राज्यों में बीजेपी की हार और कांग्रेस की जीत को जिस चश्मे से देख रहे हैं, उससे उन्हें वहीँ दीखता है जैसा वो चाहते हैं. सांसद चिराग पासवान का ये कहना कि राहुल गांधी में सकारात्मक बदलाव आये हैं.उन्होंने अच्छे मुद्दों का चयन किया और हम मंदिर और धर्म में उलझे रहे, बहुत मायने रखता है.जाहिर है चिराग अभी से अपनी भावी राजनीति की दिशा तय कर रहे हैं.उनका दल भले अभी NDA के साथ है लेकिन वो अभी से कांग्रेस के राहुल गांधी के दिमाग में अपनी दोस्ती का बीज डाल रहे हैं.

चिराग पासवान के इस बयान पर गौर फरमाइए ,पता चल जाएगा, भावी रणनीति चिराग पासवान की क्या है? उन्होंने कहा- निश्चित तौर पर राहुल गांधी के भीतर सकारात्मक बदलाव आए हैं. जिस तरह से राहुल गांधी ने किसानों और बेरोजगारी के मुद्दों को उठाया, मुझे लगता है कि उन्होंने अच्छी तरह से चयन किया. और, हम लोग मंदिर और धर्म में उलझे रहे. मैं सरकार से अपील करता हूं कि आने वाले समय में हम लोग पूरी तरह से विकास पर फोकस करें.उन्होंने आगे कहा-कांग्रेस लंबे अरसे के बाद जीती है. आपको इसका श्रेय उन्हें देना चाहिए. अगर आप किसी की आलोचना करते हैं, तो आपको उनके अच्छा प्रदर्शन करने पर तारीफ भी करनी चाहिए.”

जाहिर है चिराग के इस बयान में कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए संदेश है. बीजेपी के लिए- आपकी स्थिति अब ठीक नहीं है, संभल जाइए नहीं तो हमारा साथ ज्यादा दिनों का नहीं है और कांग्रेस के राहुल गाँधी के लिए –हम सामान विचारधारा वाले नौजवान देश की राजनीति को बदलने के लिए एकसाथ मिलकर भविष्य में काम कर सकते हैं. दरअसल, चिराग पासवान को अब लग रहा है कि लम्बी पारी वो बीजेपी के साथ नहीं ,कांग्रेस के साथ ही खेल सकते हैं. इसलिए वो अभी से कांग्रेस से रिश्ता जोड़ने की कोशिश करते दिख रहे हैं. इससे पहला फायदा तो ये होगा कि बीजेपी दबाव में आयेगी और NDA में रहते हुए भी वो राहुल गांधी को एक दोस्त और एक भावी सहयोगी के रूप में नजर आयेगें.

चिराग पासवान आज खुल्लेयाम ट्विट कर बीजेपी को धमकी दे चुके हैं.उन्होंने एक दिन पहले ही ट्विट किया-‘ गठबंधन की सीटों को लेकर कई बार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से मुलाक़ात हुई परंतु अभी तक कुछ ठोस बात आगे नहीं बढ़ पायी है. इस विषय पर समय रहते बात नहीं बनी तो इससे नुक़सान भी हो सकता है.दरअसल, चिराग देर से सीट फाइनल होने से चुनाव में होनेवाले नुकशान की बात नहीं कर रहे.वो ईशारों ईशारों में बीजेपी को उपेन्द्र कुशवाहा की तरह छोड़ देने की धमकी दे रहे हैं.दूसरी तरफ बीजेपी को राम मंदिर पर नसीहत देकर ये संदेश कांग्रेस –बीजेपी को देने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी पार्टी NDA में जरुर है लेकिन उसका मन-मिजाज धर्म-निरपेक्ष है यानी कांग्रेस के साथ जाने का रास्ता खुला हुआ है.

चिराग के बाद उनके चाचा ,एलजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और नीतीश कैबिनेट में मंत्री पशुपति पारस ये भी साफ़ कर चुके हैं कि उपेन्द्र कुशवाहा की तरह उन्हें भी JDU को सबसे ज्यादा तरजीह दिया जाना पसंद नहीं है. उन्होंने कहा कि बीजेपी-जेडीयू ने आधी-आधी सीटों पर समझौता कर लिया और उनके राष्ट्रिय अध्यक्ष को पूछा तक नहीं. उन्होंने साफ़ कर दिया कि उनकी पार्टी अब बीजेपी के पीछे पीछे दौड़ाने को तैयार नहीं. यानी एक तीर से दो निशाने चाचा-भतीजे ने साध दिया है. एक तरफ बीजेपी पर ज्यादा से ज्यादा सीट देने के लिए दबाव बना दिया है दूसरी तरफ कांग्रेस के साथ दोस्ती का हाथ भी बढ़ा दिया है.

पशुपति ने बीजेपी को साफ़ लहजे में ये कहकर चेता दिया है कि बीजेपी उनकी पार्टी को नजर-अंदाज नहीं कर सकती.  जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा के NDA छोड़ देने के बाद NDA के साथ बने रहने की वो वाजिब कीमत चाहते हैं.

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