सिटी पोस्ट लाइव : लोजपा में टूट के बाद चिराग पासवान मजबूती के साथ चलने की कोशिश में जुट गए हैं. साथ ही इस टूट के पीछे के कारणों पर से लगातार पर्दा हटा रहे हैं. चिराग ने इसे लेकर चार पन्नों का खत जनता और अपने कार्यकर्ताओं के नाम लिखा है. इस खत में न सिर्फ उन्होंने सीएम नीतीश की पोल खोली है बल्कि अपने दिल का दर्द भी बयां किया है. उन्होंने अपने खत में सीएम नीतीश कुमार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, साथ ही चिराग ने अपने भाई और चाचा को भी समझाने की कोशिश की है कि आप जो कर रहे हैं वो बिल्कुल गलत है. यदि आपने मुझसे बात की होती तो आप ही मंत्री बनते और आप ही राष्ट्रीय अध्यक्ष लेकिन आपने मेरे भाई और सांसदों के साथ मिलकर रात के अंधेरे में पीठ में खंजर घोंपने का काम किया है.
पापा ने सदैव किया नीतीश कुमार की नीतियों का विरोध
चिराग ने अपने खत में लिखा कि पिछले वर्ष 8 अक्टूबर 2020 को लोक जनशक्ति पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति का दिन था जब हम सबने हमारे नेता, हमारे आदर्श आदरणीय रामविलास पासवान जी को खोया था वह एक ऐसा कठिन दौर था जब चुनाव सर पर थे, पर आप सबके आशीर्वाद से हम सबने मजबूती से चुनाव लड़ा और 25 लाख वोट पाकर पार्टी ने एक नई ऊंचाई हासिल की 6 प्रतिशत का मत हम लोगों ने तब हासिल किया जब हम लोग 135 सीटों पर चुनाव लड़े। यदि बची हुई 100 से अधिक सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ती तो यकीनन यह मत 10 प्रतिशत से अधिक होता चुनाव अकेले लड़ने का फैसला ना सिर्फ राजनीतिक बल्कि सैद्धांतिक तौर पर भी जरूरी था जब एक तरफ गठबंधन में मात्र 15 सीटें पार्टी को लड़ने के लिए दी रही थी जो कहीं से भी तार्किक नहीं था तो वहीं दूसरी तरफ समझौता हमें एक ऐसे राजनीतिक दल से करना था जिनकी नीतियों का विरोध सदैव हमारे नेता आदरणीय रामविलास पासवान जी ने किया था.
जदयू ने हमेशा किया लोजपा को तोड़ने की कोशिश
जनता दल (यूनाइटेड) ने हमेशा लोक जनशक्ति पार्टी को तोड़ने का काम किया। 2005 फरवरी के चुनाव में हमारे 20 विधायकों को तोड़ा गया और साथ ही साथ हमारे बिहार प्रदेश के अध्यक्ष को भी तोड़ने का काम किया गया। 2005 नवंबर में हुए चुनाव में सभी हमारे जीते हुए विधायकों को तोड़ने का काम जनता दल (यूनाइटेड) द्वारा किया गया। उसके बाद 2020 में जीते हुए एक विधायक को भी तोड़ने का काम इनके द्वारा किया गया और आज लोक जनशक्ति पार्टी के 5 सांसदों को तोड़ जनता दल (यूनाइटेड) ने अपनी बाटो और शासन करो की रणनीति को दोहराया है। हमारे नेता आदरणीय रामविलास पासवान जी के जीवनकाल में कई बार नीतीश जी द्वारा उनकी राजनीतिक हत्या का प्रयास किया गया, दलित व महादलित में बंटवारा करवाना उसी का एक उदाहरण है। हमारे नेता आदरणीय रामविलास पासवान जी ने और मैंने दलित और महादलित समुदाय में कभी कोई अंतर नहीं समझा और सबको एकजुट कर अनुसूचित जाति के लोगों के लिए संघर्ष किया पर नीतीश कुमार जी ने मुझे और मेरे पिता को अपमानित करने का और राजनीतिक तौर पर समाप्त करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। इतना कुछ होने पर भी हमारे नेता आदरणीय रामविलास पासवान जी नहीं झुके।
पीएम मोदी के भरोसे लोकसभा चुनाव साथ लड़े
पापा ने कभी भी नीतीश कुमार जी के साथ कोई समझौता नहीं किया। 2014 में हमारा गठबंधन भारतीय जनता पार्टी के साथ था तब नीतीश कुमार जी मौजूदा प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के मुद्दे पर एनडीए से अलग हुए थे। 2017 में जब नीतीश कुमार जी वापस रातों रात एनडीए गठबंधन का हिस्सा बने तो इससे पापा काफी विचलित थे व नीतीश कुमार जी के साथ काम करने में सहज नहीं थे परन्तु प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी में विश्वास रखते हुए और गठबंधन की मर्यादा को निभाते हुए 2019 लोकसभा का चुनाव नीतीश कुमार जी के साथ लड़ने का फैसला लिया गया। लोकसभा के चुनाव में हमारे 6 सांसदों को हराने में जनता दल (यूनाइटेड) के नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
सीएम नीतीश ने अपमानित करने की पराकाष्ठा पार की
पिताजी की तबियत खराब होने पर जहां एक तरफ देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और पक्ष-विपक्ष को तमाम नेता फोन कर हालचाल पूछ रहे थे तो वहीं नीतीश कुमार जी का यह कहना कि उन्हें तबियत खराब है. मालूम ही नहीं है उनके अंहकार को दर्शाता है। विधानसभा चुनाव से पूर्व मीडिया को सम्बोधित करते हुए आईसीयू में भर्ती मेरे पिताजी के लिए यह कहना की “जाकर उनसे पूछिए क्या वह अपने दो विधायकों के समर्थन से राज्यसभा सांसद बने है दुखद था। हमारे नेता को अपमानित करने की पराकाष्ठा तब हुई जब राज्यसभा नामांकन के दौरान नीतीश कुमार जी ने हमारे नेता को मजबूर किया कि वो उनके पास जाये और उनसे मदद की गुहार लगाये जबकि सीटों के बंटवारे के लिए पहले ही गठबंधन में यह तय हो गया था और इसकी घोषणा तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय अमित शाह जी द्वारा सार्वजनिक तौर पर की गई थी। मुझे ताज्जुब होता है कि पार्टी से निष्कासित सांसद कैसे एक ऐसे व्यक्ति के साथ खड़े हो सकते हैं, जिन्होंने हमेशा हमारे नेता आदरणीय रामविलास पासवान जी को ही नहीं बल्कि बिहार की जनता को धोखा देने का काम किया।
पिताजी ने हमेशा अपने भाइयों को आगे बढ़ाने का काम किया
नीतीश कुमार जी ये बर्दाश्त ही नहीं कर सकते कि कोई दलित राजनीति में आगे बढ़े फिर चाहे तो आदरणीय रामविलास पासवान जी हो या फिर चिराग पासवान मेरी पार्टी व मेरे परिवार को तोड मुझे खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है पर मैं आदरणीय रामविलास पासवान जी का बेटा हूँ, एक शेर का बेटा जो कभी किसी परिस्थिति से ना तो डरता है और ना ही घबराता है परिवार के टूटने का दुःख मुझे जरूर है। पापा ने पूरा जीवन पार्टी के साथ-साथ अपने भाईयों को भी आगे बढ़ाने का काम किया और आज उनको गये 9 महीने भी नहीं हुए और अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के लिए उन्होंने परिवार का साथ छोड़ दिया और आदरणीय रामविलास पासवान जी की विचारधारा को चकनाचूर कर एक ऐसे व्यक्ति की शरण में गये जिनके खिलाफ हमारे नेता सदैव अपनी आवाज को बुलंद करते रहे।
चाचा को समझा पीता की तरह लेकिन उन्होंने मुझे सिर्फ अपना प्रतिस्पर्धी समझा
छोटे चाचा आदरणीय रामचंद्र पासवान जी का निधन पहले ही हो गया था और अब मेरे पिताजी के गुजरने के बाद चाचा जी ही परिवार के मुखिया थे ऐसे समय में जब उनके ऊपर परिवार को संभालने की जिम्मेदारी थी और मेरा मार्गदर्शन करने का कर्तव्य था उस वक्त उन्होंने हम सबको अकेला छोड़ दिया अपने पिता के निधन के उपरांत मैंने कभी अपने आपको अनाथ नहीं समझा क्योंकि मैं चाचा जी में पापा की छवि देखता था पर अफसोस जहाँ मैं उन्हें पिता तुल्य मानता था उन्होंने मुझे सिर्फ अपना प्रतिस्पर्धी समझा।
रात के अंधेरे में चाचा ने भाई के साथ मिलकर पीठ में खंजर घोंपने का काम किया
पापा के जाने के बाद से चाचा जी ने मुझसे बात करना बंद कर दिया। अगर वो मुझे कहते तो मैं खुशी-खुशी उनका नाम मंत्री पद के लिए लोक जनशक्ति पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री जी के समक्ष विचार के लिए रखता। अगर वो मुझसे कहते तो मैं स्वयं उन्हें लोक जनशक्ति पार्टी का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समक्ष रखता पर एक ऐसे समय में उन्होंने मुझे धोखा दिया जब में टाइफाइड के कारण लगभग डेढ़ महीने से बिस्तर पर था। रात के अंधेरे में उन्होंने मेरे भाई और पार्टी के बाकी सांसदों के साथ मिलकर मेरी पीठ में खंजर घोंपने का काम किया। अफसोस मुझे सिर्फ इस बात का है कि पापा की बनाई पार्टी को खंडित करने से पहले एक बार मुझसे बात कर लेते। मैंने तो अन्त-अन्त तक पार्टी और परिवार का बचाने का प्रयास किया उनके घर भी गया लेकिन उन्होंने दरवाजा नहीं खोला जिनकी गोद में, मैं बचपन में खेला और बड़ा हुआ आज वह इस तरह मुझसे मुंह मोड़ लेंगे ये यकीन नहीं था ये सवाल मेरे मन में कोचता है कि मेरी जगह उनका अपना