तीसरी बार भाजपा के कोचे मुंडा और पौलुस सुरीन आमने-सामनेे

City Post Live
तीसरी बार भाजपा के कोचे मुंडा और पौलुस सुरीन आमने-सामनेे
सिटी पोस्ट लाइव, खूंटी: जनजातियों के लिए आरक्षित तोरपा विधानसभा सीट की राजनीतिक तस्वीर इस बार बदल चुकी है। दो परंपरागत प्रतिद्वंद्वी भाजपा के कोचे मुंडा और निर्दलीय पौलुस सुरीन एक बार फिर आमने-सामने हैं। पिछले दो विधानसभा चुनावों से कोचे और पौलुस की सीधी टक्कर होती रही है। दोनों में तीसरी बार चुनावी द्वंद्व हो रहा है। अंतर सिर्फ इतना है कि पौलुस सुरीन को झामुमो ने बेटिकट कर दिया और वे इस बार स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में ताल ठोंक रहे हैं। ऐसे में पौलुस सुरीन अपना किला बचा पाते हैं या तोरपा को कोई नया विधायक मिलेगा।  गौरतलब  है कि 2009 और 2014 में पौलुस सुरीन ने झामुमो उम्मीदवार के रूप में भाजपा के कोेचे मुंडा को मात दी थी। 2014 में तो कोचे मुंडा महज 46 वोट से चुनाव हार गये थे। कोचे मुंडा भी 2000 और 2005 में विधानसभा में तोरपा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। तोरपा विधानसभा में ईसाई, सरना और हिंदू वोटों का समीकरण चुनावी हार-जीत का फैसला तय करता है। आम तौर पर सरना समुदाय को भाजपा का समर्थक माना जाता है, तो ईसाई समुदाय का अधिकतर वोट भाजपा के विरोध में जाता है। हालांकि पिछले दो चुनावों से समीकरण कुछ बदला नजर आता है। एक ओर जहां भाजपा ने ईसाई और मुस्लिम समुदाय में अपनी पैठ बढ़ाई है, दूसरी ओर वहीं कुछ सरना वोट भी भाजपा के छिटका है। परिणाम रहा कि 2009 और 2014 में भाजपा का हार का मुंह देखना पड़ा था।
राजनीति के जानकार कहते हैं कि इस बार तोरपा में सीधा मुकाबला शायद ही देखने को मिले। दोनों पुराने प्रतिद्वंद्वियों कोचे और पौलुस के अलावा झामुमो के सुदीप गुड़िया, झारखंड पार्टी के सुभाष कोंगाडी  और झाविमो के मार्सल मुंडू पूरी गंभीरता से चुनावी जंग में उतरे हैं। जानकार कहते हैं कि एक ओर जहां जिला परिषद अध्यक्ष जोनिका गुड़िया, जय प्रकाश भुइयां जैसे लोगों के भाजपा से जुड़ने से संगठन में मजबूती आयी और इसका लाभ चुनाव में मिल सकता है परन्तु पौलुस सुरीन भी दस साल के अपने कार्यकाल में अलग पहचान बना चुके हैं। सुदीप गुड़िया तपकार के मुखिया के साथ ही मुखिया संघ के जिलाध्यक्ष भी हैं। टिकट के लिए उन्होंने कई मुखिया और ईसाई धर्म गुरुओं का समर्थन पत्र सौंप कर उन्होंने अपनी चुनावी गंभीरता का अहसास करा दिया था। झापा के केंद्रीय अध्यक्ष पूर्व मंत्री एनोस एक्का और अशोक  भगत क्षेत्र का लगातार दौरा कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का भी मानना है कि इस बार वर्तमान विधायक व निर्दलीय उम्मीदवार पौलुस सुरीन को चुनौती देने के लिए भाजपा के कोचे मुंडा, झामुमो के सुदीप गुड़िया, झाविमो के मार्शल  मुंडू और झापा के सुभाष कोंगाड़ी पूरी जोर आजमाइश कर रहे हैं। अन्य तीन उम्मीदवार जनता के दरबार में कितना खरा उतरते हैं, वह तो 23 दिसम्बर को मतगणना के बाद ही पता चलेगा।
Share This Article