बिहार के गरीब सवर्णों को भी मिलेगा 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ, अधिसूचना जारी
सिटी पोस्ट लाइव : उतरप्रदेश के बाद अब बिहार में भी आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था मंगलवार से लागू हो गयी है ।बिहार सरकार की नौकरियों में भी आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों को दस प्रतिशत आरक्षण दी जाएगी. वहीं आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को भी अब नौकरियों के साथ ही शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण का लाभ मिलेगा।यह बिहार के लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है आपको बता दे कि सामान्य प्रशासन विभाग ने मंगलवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी।पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने संविधान में संशोधन करते हुए आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था। इसके बाद राज्य सरकारें भी इसे एक-एककर लागू कर रही हैं।
राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक उन्हीं अभ्यर्थियों को इसका लाभ मिलेगा जिनके परिवार की सभी स्रोतों से वार्षिक आय 8 लाख रुपए से कम है। और जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग के लिए किए गए आरक्षण के प्रावधानों में नहीं आते है. आठ लाख या उससे ज्यादा की सलाना आमदनी, पांच एकड़ या उससे ज्यादा कृषि योग्य भूमि, एक हजार वर्ग फीट या इससे अधिक क्षेत्रफल का आवासीय फ्लैट, अधिसूचित नगरपालिका के अधीन 100 वर्ग गज या इससे ज्यादा का आवासीय भूखंड और नगरपालिका क्षेत्र से इतर क्षेत्रों में 200 वर्ग गज अथवा इससे अधिक का आवासीय भूखंड वाले सभी लोग इस लाभ से वंचित रहेंगे.
विरोध के भी उठने लगे स्वर
एक तरफ जहां बिहार में सवर्ण आरक्षण को लेकर सामान्य वर्ग के लोगों के बीच ख़ुशी है वही वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासी वन भूमि का पट्टा निरस्त करने व आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण जातियों के 10 प्रतिशत आरक्षण देने के विरोध में संयुक्त मोर्चा ने राष्ट्रपति के नाम एसडीएम जीएल यादव को ज्ञापन सौंपा है । ज्ञापन में संयुक्त मोर्चा अध्यक्ष हेमंत कांडे ने कहा है कि अनुसूचित वर्ग के संवैधानिक अधिकारों को संविधान के संरक्षक द्वारा समाप्त किया जा रहा है। 10 प्रतिशत आरक्षण देना संविधान के मूल भावना के विपरीत है।