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भागवत ने प्रणब के सामने कांग्रेस और अपने विरोधियों खूब सुनाई खरी-खोटी

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आरएसएस के तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग के समापन समारोह को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा, ‘हमने प्रणब मुखर्जी को सहज भाव से निमंत्रण दिया और उन्होंने सहज भाव से स्वीकृति दी. उनको क्यों बुलाया और वह कैसे जा रहे हैं, यह चर्चा निरर्थक है. संघ, संघ है और डॉ. प्रणव मुखर्जी, प्रणव मुखर्जी हैं.’

सिटी पोस्ट लाईव :पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल होने का विरोध करने वाले कांग्रेस नेताओं को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने करारा जवाब दिया है. उन्होंने इस मामले को लेकर उपजे विवाद को बेकार की बहस करार दिया. इस दौरान प्रणब मुखर्जी की मौजूदगी में संघ प्रमुख भागवत ने नए सिरे से आरएसएस की व्याख्या भी कर दी .

भगवत ने आरएसएस  को सभी समाज का संगठन बताते हुए उन्होंने कहा कि मतभेद अपनी जगह है, लेकिन हम सब एक हैं. प्रणब के शिरकत करने को लेकर मचे घमासान पर भागवत ने कहा कि यह ‘निरर्थक’ बहस है और उनके संगठन के लिए कोई भी बाहरी नहीं है. इस दौरान भागवत ने कार्यक्रम में आने के लिए प्रणब मुखर्जी शुक्रिया भी अदा किया.

आरएसएस के तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग के समापन समारोह को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा, ‘हमने प्रणब मुखर्जी को सहज भाव से निमंत्रण दिया और उन्होंने सहज भाव से स्वीकृति दी. उनको क्यों बुलाया और वह कैसे जा रहे हैं, यह चर्चा निरर्थक है. संघ, संघ है और डॉ. प्रणव मुखर्जी, प्रणव मुखर्जी हैं.’

गौरतलब है कि प्रणब मुखर्जी द्वारा आरएसएस के आमंत्रण को स्वीकार किए जाने के बाद से कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं. साथ ही आशंका जता रहे हैं कि कही प्रणब की विचारधारा बदल तो नहीं गई है. जिसके जवाब में मोहन भागवत का यह बयान सामने आया है. उनका मतलब साफ था कि उनके कार्यक्रम में हिस्सा लेने से प्रणब मुखर्जी बदल नहीं जाएंगे.

मोहन भागवत ने कहा कि संघ का कार्य भारत के लोगों का संगठन करना है, ताकि भारत को परम वैभव तक पहुंचाया जा सके . पूरे विश्व में शांति का वातावरण बने, इसलिए संघ में सभी का स्वागत है. उन्होंने कहा, ‘हम सब एक हैं, पराया कोई नहीं. सबके पूर्वज एक ही हैं. सबके जीवन के ऊपर भारतीय संस्कृति का प्रभाव है. दूसरों की विविधता को स्वीकार करके उसे सम्मान देते हुए एकता बनी रहे, यह बेहद जरूरी है.

भागवत ने कहा कि ‘आजादी की लड़ाई लड़ने वाले सभी लोगों के मन में यह था कि देश की जनता को भी तैयार करना होगा. हेडगेवार ने आजादी के लिए काम किया. वो कांग्रेस के कार्यकर्ता रहे और दो बार जेल गए. वो क्रांतिकारियों के साथ रहे.उन्होंने कहा कि आरएसएस लोकतांत्रिक विचारों वाला संगठन है और सभी के विचारों को स्वीकार करता है. संघ को प्रसिद्धि की आवश्यकता नहीं है. आरएसएस समाज के उन लोगों को खोजने का काम करता है, जो राष्ट्र के लिए अपना जीवन समर्पित कर सकें.

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