सिटीपोस्टलाईव:ये घोर कलयुग है जहाँ मां-बाप के प्रति क्या बेटे की जिम्मेवारी है ,याद दिलाने के लिए भी कानून के डंडे की जरुरत पड़ रही है.मां-बाप की उपेक्षा के आरोपियों की मोदी सरकार सजा बढ़ाने पर विचार कर रही है.अब जो बेटे बेटियां मां-बाप पर अत्याचार के दोषी पाए जायेगें ,उन्हें तीन माह की जगह 6 माह की सजा होगी.
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक मेनटिनेंस ऐंड वेलफेयर ऑफ पैरंट्स ऐंड सीनियर सिटिजन ऐक्ट-2007 की समीक्षा की जा रही है जिसमे बच्चों की परिभाषा का विस्तार कर इसमें दत्तक पुत्र/पुत्री, सौतेले बच्चे, दामाद, बहू, पोता/पोती भी कानूनी रूप से वैध अभिभावक के तौर पर दर्ज किए जाने का प्रस्ताव है.यानीमाँ-बाप के अधिकार को बढाने की तैयारी है.मौजूदा अधिनियम के में केवल बायलॉजिकल बच्चे ही अभिभावक के अंतरगत आते हैं.
मंत्रालय ने MWPSC ऐक्ट-2018 का ड्राफ्ट पेश कर दिया है जिसे मंजूरी मिलने बाद यह लागू हो जाएगा. इस ड्राफ्ट में महीने के 10,000 रुपये के मेंटिनेंस के अलावा भी कुछ करने का प्रस्ताव रखा गया है.एक अधिकारी ने बताया, ‘जो लोग ज्यादा कमाते हैं, उन्हें अपने माता-पिता को ज्यादा रुपये देने चाहिए. इसमें खाना, कपड़ा, रहने और स्वास्थ्य के अलावा सुरक्षा भी शामिल होनी चाहिए.’ वर्तमान कानून के तहत बुजुर्गों को अधिकार दिया गया है कि वह 10,000 रुपये अपने बच्चों से ले सकते हैं और अगर बच्चे इनकार करते हैं तो वे मेंटिनेंस ट्राइब्यूनल में न्याय के लिए जा सकते हैं.