पंकज झा .
सिटीपोस्टलाईव : पिछले एक साल में उत्तर प्रदेश में हुए एक हज़ार से ज़्यादा मुठभेड़ में 50 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं.ईन मुठभेड़ों को लेकर सवाल भी उठते रहे हैं लेकिन योगी सरकार एनकाउंटर के अपने फैसले पर कायम है.लेकिन एक अपराधी और एक थानेदार के बीच हुई बातचीत के वायरल हो जाने से यह सवाल और ज्यादा जोर से उठने लगा है कि पुलिस मुठभेड़ के नाम पर कहीं सरकार अपने विरोधियों को तो नहीं निबटा रही है ? झांसी ज़िले के एक शातिर अपराधी ने एक ऑडियो क्लिप जारी की है जिसमें एक इंस्पेक्टर उसको सलाह देते सुना जा सकता है कि उसका नाम मुठभेड़ की हिटलिस्ट में सबसे ऊपर है और अगर वह बचना चाहता है तो बीजेपी के किसी नेता या विधायक को मैनेज करे.ये दीगर बात है कि ऑडियो सामने आने के बाद इंस्पेक्टर को अब सस्पेंड कर दिया गया है.
निलंबित पुलिस का इंस्पेक्टर का नाम सुनीत कुमार है जो हत्या, अपहरण और जबरन वसूली के कई मामलों के अपराधी लेखराज यादव को सलाह दे रहा है कि वो बीजेपी के विधायक और पार्टी के ज़िला अध्यक्ष से मिल कर मामला निपटा ले. लेखराज ने ये बातचीत शुक्रवार को रिकॉर्ड की, इसके कुछ ही देर बाद एक मुठभेड़ भी हुई पर लेखराज भागने में कामयाब रहा, जिसके बाद उसने ये रिकॉर्डिंग पत्रकारों तक पहुंचाई है.
अपराधी लेखराज यादव: मदद करो यार मदद करो.
इंस्पेक्टर सुनीत कुमार सिंह: आप मेरी मजबूरी समझिए…ठीक.. मैंने आपको बता दिया…संजय दुबे ज़िला अध्यक्ष, राजीव सिंह परीछा- दो आदमियों को मैनज कर लीजिए.
अपराधी लेखराज यादव: अरे सुनीत सिंह किसी से कम है क्या.
इंस्पेक्टर सुनीत कुमार सिंह: अरे नहीं… आप मेरी बात सुनिए… मेरी बात सुनिए प्लीज़… ग़लत काम कहीं कुछ नहीं होता है. पिछले 14 साल में भाजपा से पहले कितने एनकाउंटर हुए ज़िले, प्रदेश भर में? नहीं हुए… बसपा आई, सपा आई सब. अब सिस्टम चल रहा है. आप समझ ही नहीं रहे कोई चीज़ को. ये दौर है. अब दौर तो दौर ही होता है ना सर..अब सिस्टम ऊपर से है. यहां नीचे ऊपर सब एसटीएफ़ भी है. सब लगे हैं पूरी टीम है. आपकी लोकेशन ट्रेस आउट हो रही है और 10-20-50 आदमी भी अगर आपके साथ होंगे तो कोई बड़ी बात नहीं है.
अपराधी लेखराज यादव: अरे मुझे मरना थोड़ी है यार…
इंस्पेक्टर सुनीत कुमार सिंह : अरे जो भी मामला है उसे देख दिखाकर, जो भी कर सकते हो जैसे भी मैनेज कर लो. लंबी पंचायत फंसेगी फिर.. फिर हम भी कुछ नहीं कर पाएंगे.
इस ऑडियो क्लिप के आ जाने से यह सवाल उठाना लाजिमी है कि क्या यूपी पुलिस केवल उन्ही अपराधियों को मुठभेड़ में मार रही है जिनका सत्ता से कोई सम्बन्ध नहीं है या फिर जो विपक्ष से जुड़े हैं ?
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