सिटी पोस्ट लाइव : भाकपा-माले महासचिव डॉ. दीपंकर भट्टाचार्य ने भाजपा भगाओ-बिहार बचाओ जनअधिकार पदयात्रा के तहत आज अरवल के लक्ष्मणपुर बाथे में शहीद स्मारक पर माल्यार्पण किया और अरवल जिले से पटना तक जाने वाली पदयात्रा को विदाई दी. इस मौके पर उनके साथ पार्टी के बिहार राज्य सचिव कुणाल, अरवल जिला सचिव महानंद, केंद्रीय कमिटी के सदस्य संतोष सहर, राज्य कमिटी सदस्य रविन्द्र यादव सहित कई माले नेता उपस्थित थे. पदयात्रा में बड़ी संख्या में मजदूर-किसान, महिलायें व कमजोर वर्ग के लोग शामिल हैं. यह वही लक्ष्मणपुर बाथे है, जहां 1 दिसम्बर 1997 की काली रात को संघ-भाजपा संरक्षित हत्यारे गिरोह ‘रणवीर सेना’ ने हमला कर 3 से 12 साल की 6 बच्चियों, 15 से 75 साल तक की 26 महिलाओं, 1 से 10 साल तक के 9 बच्चों और 15 से 60 साल तक के 18 पुरुषों की बर्बरतापूर्वक हत्या कर दी थी. तत्कालीन राष्ट्रपति आर. के. नारायणन ने तब इस नृशंसता को ‘राष्ट्रीय शर्म’ की संज्ञा दी थी.न्याय के लिए बाथे के जनसंहार पीड़ितों ने लंबी लड़ाई लड़ी. निचली अदालत से उसके मुख्य अभियुक्त सहित अन्य हत्यारों को सजा भी हुई. दर्जनों गवाहों व मृतकों के परिजनों के हत्यारों की धमकियों के बावजूद विशेष अदालत में पूरी हिम्मत व मुस्तैदी के साथ महीनों तक गवाही दी और अभियुक्तों को उम्रकैद और फांसी की सजा तक पहुंचाया. लेकिन नीतीश राज में एक बार फिर से संहार रचाया गया. इस बार गरीबों के न्याय की उम्मीदों की हत्या हुई. जब मामला पटना हाईकोर्ट पहुंचा तो सजा पाए तमाम रणवीर सरगने सजामुक्त-बाईज्जत बरी कर दिए गए. आज वे खुलेआम छुट्टा घुम रहे हैं.बाथे के पहले नगरी, बथानी टोला, शंकरबीघा, नारायणपुर व मिंयांपुर आदि जनसंहारों के मामले में भी यही हुआ. यानि उच्च न्यायालय से सारे अभियुक्त बाइज्जत बरी हो गए. जबकि यह वही अरवल है, जहां मजदूर-किसानों के लोकप्रिय नेता शाह चांद को सत्ता की ताकतों ने टाडा के केस में फंसाकर जेल के भीतर ही मार दिया. शाह चांद सहित उनके साथियों पर तब टाडा लगाया गया, जब देश के दूसरे हिस्से में उसे समाप्त कर दिया गया था. आज भी काॅ. त्रिभुवन सिंह सहित कई साथी जेल में बंद हैं. उन्होंने अपनी पूरी सजा काट ली है. बारंबार अपील के बाद भी उन्हें रिहा नहीं किया जा रहा है.
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