सोशल मीडिया और उसके दुष्प्रभाव, बच्चों को भी लग रही इसकी बुरी लत
सिटी पोस्ट लाइव : आज सोशल मीडिया एक ऐसा साधन बन गया है कि कोई भी व्यक्ति उंगलियों के सहारे कुछ भी लिख या बोल सकता है. लेकिन इस साधन का कई लोग गलत फायदा भी उठाते हैं. जहां कुछ लोग विवादित बयान देकर लोगों को भड़काते हैं तो कई लोग बिना तथ्य जानें उस बात को स्वीकार कर लेते हैं. इस सोशल मीडिया से ना सिर्फ बड़े बल्कि आज बच्चे भी आदि हो चुके हैं. उन्हें भी इसकी लत नशे की तरह हो चुकी है. चाहे वो 8वीं का छात्र हो या 10वीं का. सभी सोशल मीडिया के इस्तेमाल को महत्त्व देने लगे हैं. जिसका नतीजा है कि बच्चे खेलने जाने के वजय मोबाइल और इंटरनेट के जाल में फंसकर अपनी जिन्दगी ख़राब कर लेते हैं.
बता दें इस सोशल मीडिया के कारण लोग अवसाद में भी रहते हैं. जिससे झुंझलाहट और थकान घेरे रहती है. लोग होकर भी बेहद दूर हो जाते हैं. या यूँ कहें कि ज्यादा समय सोशल मीडिया पर बिताने से लोग अपने परिवार से ज्यादा इसे महत्व देने लगे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में संसार के 18 राष्ट्रों में सोशल मीडिया पर समय बिताने वाले लोगों पर एक सर्वे किया गया था. इस सर्वे में 23 फीसदी लोगों ने माना था कि सोशल मीडिया की वजह से उनकी व उनके जीवनसाथी के बीच होने वाली वार्ता कम हो गई है, जबकि 33 फीसदी लोगों ने बोला कि सोशल साइट्स के कारण वो अपने बच्चों से बहुत कम बात करते हैं. 23 फीसदी लोगों का कहना है कि हमेश ऑनलाईन रहने वाली आदत की वजह से वो अपने माता-पिता से कम वार्ता करते है. 69 फीसदी युवाओं ने ये माना कि उनका अपने दोस्तों से संवाद कम हो गया है क्योंकि वो सोशल मीडिया के ज़रिए उनका हालचाल पूछ लेते हैं.
कई बार इस सोशल मीडिया की जाल में फंसकर बच्चे गलत राह हो अपना लेते हैं. जिन्हें वे जानते पहचानते नहीं उनपर आँख बंद कर भरोसा कर लेते है. परिणाम स्वरूप उन्हें प्रेमजाल में फंसकर ब्लैकमेल भी करते हैं. कई मामलों में इस जाल में फंसने वाली ज्यादातर लड़कियां होती हैं. जो इंटरनेट पर ही प्यार कर लेती हैं और उन्हें धोखे और फरेब के सिवा कुछ नहीं मिलता है. हाल ही में मुज्जफरपुर में एक ऐसा मामला सामने आया था जिसने पुलिस प्रशासन को हिला कर रख दिया था. जहां कोचिंग में पढने वाली छात्राएं सोशल मीडिया के चक्कर में फंसकर एक होटल में जा पहुंची. पुलिस ने जब छापा मारा तो कई जोड़े आपत्तिजनक स्थिति में मिलें.
गौरतलब है कि बच्चों को ऐसे सोशल मीडिया की लत से दूर ही रखना चाहिए. मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि मां-बाप बच्चों को गैजेट्स से दूर रखना चाहिए. कम से कम एक वक्त का खाना अपने बच्चों के साथ खाना चाहिए. मोबाइल और गैजेट्स की लत हटाने के लिए डिजिटल डिटॉक्स की मदद भी ले सकते हैं, यानी कुछ दिनों तक मोबाइल और इंटरनेट से छुट्टी. डिजिटल डिटॉक्स का एक बड़ा फायदा ये है कि छुट्टियां का पूरा मजा आप असली दुनिया में उठाते हैं, मोबाइल की आभाषी दुनिया में नहीं. मोबाइल की लत मिटाने के लिए उससे गैर-जरूरी नोटिफिकेशन हटाना भी बेहतर उपाय है. और, सबसे अच्छा तो यही है कि परिवार के साथ ज्यादा समय बातचीत और खेलकूद में बिताया जाए.
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