बतौर चीफ जस्टिस, रंजन गोगोई के सामने है कई बड़ी चुनौती

City Post Live - Desk

सिटी पोस्ट लाइव जस्टिस रंजन गोगोई ने देश के 46वें चीफ जस्टिस के रूप कार्यभार संभाला है । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। गंभीर अनुशासनप्रिय रहने वाले रंजन गोगोई से देश की न्याय प्रक्रिया को काफी उम्मीदें हैं। भारतीय अदालतों में खाली पड़े न्यायाधीशों के पद तथा करोड़ों मुकदमों का ढेर रंजन गोगोई के लिए एक बड़ी चुनौती है। हालांकि इससे पहले न्यायाधीशों ने खाली पड़े न्यायाधीशों के पदों के बारे में आवाज उठाई, लेकिन कुछ सकारात्मक परिणाम नहीं निकला।लेकिन जस्टिस रंजन गोगोई से उम्मीद इस लिए की जा रही है क्योंकि अपना पद ग्रहण करने के पहले उन्होंने एक बयान जारी करते हुए कहा था कि, अदालतों में करोड़ों मुकदमों का बोझ तथा खाली पड़े न्यायाधीशों के पदों का बोझ काफी चिंता का विषय है। उनके इस बयान से कयास लगाए जा रहे हैं कि, रंजन गोगोई चीफ जस्टिस बनने के बाद, इस तरह की चुनौतियों का सरलता से निपटारा कर सकेंगे।
गौरतलब है कि देश भर की अदालतों में लगभग 2.77 करोड़ मुकदमे लंबित हैं। ये मुकदमें नए चीफ जस्टिस की नई योजना का इंतजार कर रहे हैं। इन मुकदमों में 13.97 लाख मुकदमें वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित हैं। तथा इन मुकदमों में 28.48 लाख मुकदमें महिलाओं ने दाखिल किए हैं।गौरतलब है कि, इससे पहले आने वाले तमाम मुख्य न्यायाधीशों ने देश में न्यायाधीशों के खाली पड़े पदों को भरने के लिए सरकार से अनुरोध किया था। लेकिन इस बारे में सरकार की उदासीनता स्पष्ट दिखाई पड़ी। हालांकि अब वर्तमान में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर इस तरह की बहुत बड़ी चुनौती है। देखने वाली बात यह होगी कि, वह इस चुनौती से कैसे पार पाते हैं।

जस्टिस मिश्रा के रिटायरमेंट के बाद बतौर मुख्या न्यायाधीश जस्टिस गोगोई को जिन बड़ी मामलों की सुनवाई करना है , उनमें से सबसे पहला मामला अयोध्या विवाद है। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद से लेकर भीमा-कोरेगांव मामले में सुनवाई कैसे आगे चलेगी इस पर पूरे देश की निगाहें होंगी।

Share This Article