सिटी पोस्ट लाइव :ट्रंप मोदी की दोस्ती लाई रंग,NSG पर भारत को मिला अमेरिका का साथ. चीन के वीटो के चलते एनएसजी में भारत को सदस्यता नहीं मिल पा रही है, लेकिन अमेरिका भारत का समर्थन करता रहेगा. गुरुवार को ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन के वीटो के कारण भारत अब तक एनएसजी का सदस्य नहीं बन पाया है, लेकिन अमेरिका एनएसजी में भारत की सदस्यता के लिए समर्थन करता रहेगा, क्योंकि भारत इसके सभी मानदंडों को पूरा करता है.भारत को अमेरिका और इस समूह के सदस्य ज्यादातर पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त है. हालांकि चीन बार-बार एनपीटी के बहाने भारत की राह में रोड़े अटका रहा है.
एनएसजी परमाणु आपूर्ति करने वाले 48 देशों का एक ऐसा समूह है, जो परमाणु प्रौद्योगिकी और परमाणु संबंधित उत्पादों के निर्यात के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों के आधार पर परमाणु हथियारों के प्रसार की जाँच करता है. इसका मकसद परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना है. परमाणु हथियारों की अपूर्ति करने वाले 48 देशों के इस समूह में अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन जैसे पाँच बड़े देश शामिल हैं. वर्ष 1974 में एनएसजी की स्थापना पोखरण में, भारत द्वारा किए गए अपने परमाणु परीक्षण के जवाब में हुई थी.
एनएसजी के वर्तमान सदस्य ऑस्ट्रिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, बुल्गारिया, बेल्जियम, बेलारूस, चीन, साइप्रस, चेक गणराज्य, कनाडा, क्रोएशिया, डेनमार्क, एस्टोनिया, फ्रांस, फिनलैंड, ग्रीस, जर्मनी, हंगरी, इटली, आइसलैंड, आयरलैंड, जापान, कजाखस्तान, गणराज्य कोरिया, लक्समबर्ग, लाटविया, लिथुआनिया, मेक्सिको, माल्टा, नॉर्वे, नीदरलैंड्स, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, पोलैंड, रूस, रोमानिया, स्पेन, स्विटजरलैंड, स्लोवाकिया, दक्षिण अफ्रीका, सर्बिया, स्वीडन, स्लोवेनिया, तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूक्रेन, यूनाइटेड किंगडम आदि जैसे प्रमुख देश हैं.
इस समूह के सदस्यता मिलने के बाद भारत को परमाणु तकनीक मिलेगी जिससे भारत अपनी ऊर्जा की मांग पूरी कर सकता है.इसके साथ ही भारत को को बिना किसी समझौते के यूरेनीयम मिल सकेगा.