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चेतावनी को नजर अंदाज करने की वजह से हुआ कोझिकोड में विमान हादसा

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सिटी पोस्ट लाइव : केरल के कोझिकोड एयरपोर्ट पर हुए विमान हादसे (Kerala Plane Crash) में मरनेवालों की संख्या 17 तक पहुँच गई है.इस दुर्घटना में दो पायलटों समेत 17 लोगों की मौत हो गई है. रनवे पर पानी होने की वजह से विमान फिसलकर 35 फीट नीचे खाईं में चला गया. दरअसल यह एक ‘टेबलटॉप’ रनवे हैं और दोनों तरफ घाटी है. विमान दो टुकड़ों में बंट गया था. एक्सपर्ट पहले भी इस खतरे का अंदेशा जता चुके थे लेकिन इसपर ध्यान नहीं दिया गया और. इसी वजह से 17 विमान यात्रियों की जान चली गई. आज से 9 साल पहले ही सेफ्टी अडवाइजरी कमिटी के सदस्य मोहन रंगनाथन ने चेतावनी दी थी कि यह रनवे बारिश के मौसम में लैंडिंग के काबिल बिल्कुल नहीं है.

मोहन रंगनाथन ने कहा था, ‘जब मैंगलोर में प्लेन क्रैश हुआ था तो मैंने चेतावनी दी थी लेकिन उसे नजरअंदाज किया गया. यह एक ढलान वाला टेबलटॉप रनवे है. इसके अलावा रनवे के आखिरी में पर्याप्त बफरजोन भी नहीं है.’ एक्सपर्ट्स के मुताबिक रनवे के आखिरी में कम से कम 240 मीटर का बफरजोन होना चाहिए लेकिन कोझिकोड के रनवे पर यह केवल 90 मीटर का ही है. इसके अलावा रनवे के आसपास केवल 75 मीटर की जगह है जो कि सुरक्षा की लिहाज से 100 मीटर होना अनिवार्य है.

रंगनाथन ने कहा कि टेबलटॉप रनवे पर संचालन के लिए कोई स्पेशल निर्देश भी नहीं हैं. 2011 में उन्होंने सीविल एविएशन सेफ्टी अडवाइजरी कमिटी को एक पत्र लिखा था. कहा था कि रनवे 10 को लैंडिंग के लिए सही नहीं माना जाना चाहिए और रनवे के आखिरी में जगह बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा था कि रनवे एंड सेफ्टी एरिया (RESA) को 240 मीटर तक बढ़ाना जरूरी है जिससे सुरक्षित संचालन किया जा सके. उन्होंने कहा था कि अगर रनवे एरिया में विमान नहीं रुक पाता है तो यहां RESA एरिया भी नहीं है.

2011 में लिखे गए पत्र में कहा गया था, ‘मंगलोर में हुए हादसे के बाद चेत जाना चाहिए और रनवे को सुरक्षित बनाना चाहिए. सेफ्टी अडवाइजरी कमिटी की पहल बैठक में ही मैंने RESA के बारे में सवाल उठाए थे. डीजीसीए की टीमों को भी रनवे स्ट्रिप के बारे में पता नहीं चला. इसमें खतरा है. क्या एयरलाइन या डीजीसीए इन रनवे पर ऑपरेशन रोककर सुधार करने को तैयार हैं?’

जानकारी के मुताबिक, केरल का कोझिकोड एयरपोर्ट भौगोलिक रूप से ‘टेबलटॉप’ है. कहने का मतलब है कि इस एयरपोर्ट के रनवे के आस-पास घाटी होती है. ऐसे में टेबलटॉप में रनवे खत्‍म होने के बाद आगे ज्‍यादा जगह नहीं होती है. इसके चलते कोझिकोड एयरपोर्ट में रनवे पर फिसलने के बाद विमान घाटी में 35 फीट जा गिरा. नीचे गिरते ही विमान दो टुकड़ों में बंट गया. हादसे में विमान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ, मगर गनीमत रही कि इसमें आग नहीं लगी. जानकारी के मुताबिक, विमान दुर्घटना शुक्रवार शाम 7.41 बजे हुई.

हवाई पट्टी की दोनों तरफ या एक तरफ घाटी होने के कारण टेबलटॉप रनवे में जोखिम काफी ज्यादा होता है. ऐसे में विमानों की लैंडिंग और उड़ान दोनों के दौरान काफी सतर्कता बरतनी होती है. इसके कारण इन एयरपोर्ट के पायलट भी काफी कुशल होते हैं. ज्यादातर टेबलटॉप रनवे पठार या पहाड़ के टॉप पर बने होते हैं. देश में कर्नाटक के मंगलुरु, केरल के कोझिकोड एयरपोर्ट और मिजोरम में टेबलटॉप रनवे बने हुए हैं.

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