सिटी पोस्ट लाइव : एकबार फिर देश में फ्लू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. लोगों को बुखार के साथ लगातार खांसी परेशान कर रही है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये मामले इन्फ्लुएंजा ए वायरस के एच3एन2 प्रकार से संबंधित हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और आईएमए लगातार इस संबंध में दिशानिर्देश जारी कर रहा है. स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक ने केंद्रीय अस्पतालों के वरिष्ठ अधिकारियों और मेडिसिन के एक्सपर्ट के साथ मीटिंग भी की है. एम्स में सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर हर्षल आर साल्वे ने कहा कि फ्लू वायरस के फैलने में वृद्धि क्लाइमेट कंडिशन के कारण है.
कोविड खत्म हो गया है लेकिन कई अन्य वायरल संक्रमण जैसे H3N2 अभी भी मौजूद हैं. कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए ये संक्रमण गंभीर हो सकता है.अगर लोग मास्क का प्रयोग जारी रखेंगे तो इससे काफी मदद मिलेगी.इन विषाणुओं के लिए टीकाकरण शुरू करने का निर्णय लिया जा रहा है. H3N2 संक्रमण फिलहाल हवा में मौजूद है लेकिन यह कोविड वैरिएंट नहीं है. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के एमडी (चेस्ट) डॉ. अमित सूरी का कहना है कि हमारे पास प्रतिदिन वायरल संक्रमण के 20-25% मामले आ रहे हैं. कई मरीज बुजुर्ग हैं. उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान पालन किए गए सावधानियों का पालन करने की जरूरत है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अनुसार इन्फ्लुएंजा ए उपप्रकार एच3एन2 देश में सांस संबंधी मौजूदा बीमारी का प्रमुख कारण है. ईसीएमआर-डीएचआर (स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग) ने 30 वीआरएलडी (वायरल अनुसंधान और नैदानिक प्रयोगशालाओं) में पैन-रेस्पिरेटरी वायरस निगरानी प्रणाली स्थापित की है. आईसीएमआर के मुताबिक, गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआई) के लिए भर्ती किए गए सभी रोगियों में से लगभग आधे, साथ ही साथ इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी के लिए बाहरी रोगियों का इलाज किया जा रहा है, उनमें इन्फ्लूएंजा ए एच3एन2 पाया गया है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कहा, कुछ मामलों में खांसी, मतली, उल्टी, गले में खराश, बुखार, शरीर में दर्द और दस्त के लक्षण वाले रोगियों की संख्या में अचानक वृद्धि देखी गई है. बुखार तीन दिनों के अंत में दूर हो जाता है, जबकि खांसी तीन सप्ताह तक बनी रह सकती है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी है. आईएमए ने डॉक्टरों से कहा है कि वे केवल रोग से जुड़ा ही इलाज दें. इसके लिए एंटीबायोटिक दवाओं की कोई जरूरत नहीं है. आईएमए ने कहा कि लोगों ने लगातार ऐथरेसिन और एमोक्सिक्लेव जैसे एंटीबायोटिक्स लेना शुरू कर दिया है. एक बार जब वे बेहतर महसूस करने लगते हैं तो बंद कर देते हैं. उन्होंने कहा कि इसे रोकने की जरूरत है, क्योंकि यह एंटीबायोटिक बाद में शरीर पर बेअसर हो जाता है.