विशेष भाग- 2 : कोसी के सात धुरंधर नेताओं को, हाशिये पर लाने की हुई है पुरजोर कोशिश
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार लोकसभा चुनाव में कोसी के सात धुरंधर नेताओं की बड़ी अनदेखी हुई है। ना तो एनडीए और ना ही महागठबन्धन ने इन्हें सलीके से तवज्जो दिया है। कोसी क्षेत्र में सुपौल के बलुआ बाजार के मिश्रा परिवार का देश सहित बिहार की राजनीति में खासा दबदबा रहा है। मिश्रा परिवार के ललित नारायण मिश्रा, इंदिरा गांधी के शासन काल में रेल मंत्री थे। बम मारकर उनकी हत्या कर दी गयी। बाद के समय में उनके छोटे भाई जग्गनाथ मिश्रा कांग्रेस के शासन काल में कई वर्षों तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। उनके बेटे नीतीश मिश्रा एनडीए की सरकार में बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं। लेकिन इस लोकसभा चुनाव में पिता-पुत्र को किसी ने भी,किसी तरह का कोई तवज्जो नहीं दिया।
बिहार सहित देश भर में कद्दावर राजनीतिक हैसियत और बड़ा जनाधार रखने वाले बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को,कांग्रेस शिवहर से टिकट देने में असमर्थ साबित हुई ।आनंद मोहन को इस बात का बेहद मलाल है और अब उनके समर्थक टिकट की जगह उनकी जेल से ससम्मान रिहाई कराने वाले दल की मदद की बात कर रहे हैं ।यानि यह साफ है कि आनंद मोहन समर्थकों का वोट एनडीए के हिस्से ही जाने वाला है ।जाप के संरक्षक और कोसी-सीमांचल सहित पूरे बिहार में अपना खास जनाधार बनाकर रखने वाले पप्पू यादव को महागठबन्धन ने खून के आंसू बहाने को मजबूर किया है ।
दो बाहुबली और एक बलात्कारी ने मारी बाजी
बिहार के दो बाहुबली ने इस लोकसभा चुनाव में टिकट लेने में बाजी मार ली है। भूमिहार जाति से आने वाले और बिहार में छोटे सरकार के नाम से मशहूर अनंत सिंह ने मुंगेर से अपनी पत्नी बीणा देवी को जहां कांग्रेस से टिकट दिलवा दिया है वहीं कई हत्याओं के आरोप में जेल में बन्द शहाबुद्दीन ने अपनी पत्नी हिना शबाब को सिवान से राजद का टिकट दिलवाने में कामयाबी पाई है। हद तो यह है कि बलात्कार मामले में जेल में बन्द पूर्व राजद विधायक राजबल्लभ यादव ने अपनी पत्नी मनोरमा देवी को नवादा से राजद का टिकट दिलवाया है। राबड़ी देवी ने मनोरमा देवी का प्रचार भी शुरू कर दिया है ।इन तीनों सीट पर की उम्मीदवारी ने यह साबित कर दिया है कि राजनीति में चरित्र, ज्ञान और तरह-तरह के ओजस्वी गुण कोई मायने नहीं रखते हैं।
महागठबन्धन में उनके लिए नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया गया ।उनकी पत्नी को कांग्रेस से सुपौल का टिकट तो दिया गया है लेकिन राजद खेमा उनके विरोध में है। पप्पू यादव ना अपनी पत्नी का प्रचार कर सकते हैं और ना ही रंजीता रंजन अपने पति का प्रचार कर सकती हैं ।मधेपुरा की धरती पर पैदा हुए मंडल कमीशन के मसीहा बी.पी.मंडल के परिवार के किसी भी सदस्य को इस चुनाव में कोई महत्व नहीं दिया गया है ।जिझ मंडल कमीशन का लाभ आज पूरा देश उठा रहा है,उस परिवार के नेताओं की उपेक्षा,बेहद शर्मसार करने वाला है ।सुपौल के रहने वाले शहनवाज हुसैन को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया है ।
पार्टी के अंदर और बाहर एक अलग छवि और पहचान रखने वाले शहनवाज हुसैन की एक तरह से बड़ी किरकिरी हुई है ।सुपौल के पूर्व बीजेपी सांसद विश्वमोहन कुमार,जिनकी पत्नी भी पिपड़ा विधानसभा से विधायिका रह चुकी हैं,को बीजेपी ने इसबार कोई भाव नहीं दिया ।सुपौल से जदयू के दिलेश्वर कामत एनडीए के उम्मीदवार हैं ।मधेपुरा के बिहारीगंज से विधायक रहीं और बिहार सरकार में मंत्री रहने वाली और खगड़िया से सांसद रह चुकी रेणु कुशवाहा और उनके पति विजय कुशवाहा को भी एनडीए ने कोई भाव नहीं दिया ।
रेणु कुशवाहा पहले जदयू में थीं लेकिन 2014 में वह बीजेपी में आ गया थीं ।उनके पति मधेपुरा संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के प्रत्यासी थे लेकिन पति-पत्नी की उपेक्षा की वजह से शुक्रवार को कुछ और नेताओं औरअपने सैंकड़ों समर्थक के साथ रेणु कुशवाहा ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया ।अब इनलोगों का अगला कदम क्या होगा,इसे आगे देखना होगा ।यह निर्विवाद है कि इन तमाम राजनीतिक धुरंधर और सूरमाओं की अनदेखी का बड़ा प्रभाव,इस लोकसभा चुनाव से लेकर आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में निसन्देह देखने को मिलेगा ।