क्यों आसमान छूने लगी हैं प्याज़ की कीमतें, जानिये असली वजह
सिटी पोस्ट लाइव : प्याज़ की कीमतें आसमान छूने लगी हैं. पटना के बाज़ार में कुछ दिन पहले जो प्याज़ 35 से 40 रुपए किलो बिक रहा था. अब वह 60 से 70 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है. खबर के अनुसार थोक मंडी में प्याज़ का थोक भाव 50 रुपए तक पहुँच गया है. प्याज़ से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि कीमतों में यह उछाल दरअसल प्याज़ की कम पैदावार का नतीजा है.
पिछले सीज़न में प्याज़ की कीमत 4-5 रुपए प्रति किलो पहुंच गई थी, जिस वजह से किसानों ने इस बार प्याज़ की खेती कम कर दी.यही वजह है अब प्याज़ का स्टॉक कम पड़ रहा है और कीमतें ऊपर जा रही हैं.’इस बार किसान ने प्याज़ बहुत कम लगाया, लगभग 25 से 30 प्रतिशत कम प्याज़ लगाया गया. इसके साथ ही बरसात की वजह से भी काफी प्याज़ ख़राब हो गया. इसी से डरकर किसान ने प्याज़ जल्दी निकाल दिया था. आमतौर पर अप्रैल में जो प्याज़ निकाला जाता है वह दिवाली तक चलता है लेकिन इस बार वो प्याज़ अभी ख़त्म हो चुका है.”
महाराष्ट्र के लासलगांव में एशिया की सबसे बड़ी प्याज़ मंडी है. देश भर में प्याज़ की कीमतें इसी मंडी से तय होती हैं.लासलगांव मंडी में भी प्याज का भाव 45-50 रुपए प्रति किलो पहुंच चुका है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में प्याज़ किसानों को मौसम की मार झेलनी पड़ी है. पहले तो यहां सूखा पड़ा और उसके बाद भारी बारिश की वजह से प्याज़ की फ़सल को काफी नुकसान उठाना पड़ा.
महाराष्ट्र से तो उतना ही प्याज़ भेजा जा रहा है जितना बीते वर्षों में था, लेकिन आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों से प्याज़ की आवक में फर्क पड़ा है.हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में सरकार अफ़ग़ानिस्तान, ईरान और मिस्र से प्याज़ आयात करेगी. जिससे इसकी कमी को पूरा कर लिया जाएगा और कीमतें एक बार फिर स्थिर हो जाएंगी.
सरकारी कंपनी एमएमटीसी (मेटल्स एंड मिनरल्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) लिमिटेड ने पाकिस्तान, मिस्र, चीन, अफ़ग़ानिस्तान और अन्य देशों से प्याज़ के आयात के लिए निविदा मंगाई थी जिस पर महाराष्ट्र के किसानों ने आपत्ति जताई थी.प्याज़ के दामों को काबू में करने के लिए सरकार की तरफ से भी कई कोशिशें हुई लेकिन यह नाकाफी साबित हो रही हैं. सरकार ने पिछले हफ़्ते प्याज़ का न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी एमईपी 850 डॉलर प्रति टन तय किया था.
‘सरकारी एजेंसी नैफेड ने प्याज़ को सस्ते दामों पर खरीदकर स्टोर में रखा है. उन्हें उस प्याज़ को बाज़ार में उतारना चाहिए. इससे कीमतों पर कुछ असर ज़रूर पड़ेगा.”लेकिन सरकार के पास प्याज़ की कीमतों से जुड़ी कभी कोई उचित नीति नहीं रही, जिसका असर प्याज़ किसानों और उपभोक्ताओं दोनों पर पड़ता है.कुल मिलाकर कुछ ही दिनों में भारत में त्योहारों का मौसम शुरू होने वाला है और में प्याज़ के दामों का बढ़ना. एक मध्यमवर्गीय परिवार के घरेलू बजट के लिए चिंता का सबब हो सकता है.