सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना संकट से लड़ने के लिए एक तरफ राज्य सरकार ने अपना खजाना खोल दिया है. लेकिन दूसरी तरफ कोरोना संकट की वजह से राज्य के खजाने में धन की आवक बहुत कम हो गई है. राजस्व में भारी कमी आ गई है. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि कोरोना संकट के कारण राज्य के राजस्व संग्रह में पिछले वर्ष के अप्रैल माह की तुलना में इस साल अप्रैल में 82.29 प्रतिशत की कमी आई है.
अप्रैल, 2020 में जहां वेतन, पेंशन, आपदा प्रबंधन, सामाजिक सुरक्षा, लोकऋण के मूलघन व ब्याज की वापसी तथा पंचायतों के अनुदान पर 12,202 करोड़ खर्च हुआ वहीं सभी तरह के संसाधनों से मात्र 9,861 करोड़ ही प्राप्त हो पाया. इसके कारण 2,341 करोड़ के घाटे को पहले की बचत की राशि से पूरा किया गया. सुशील मोदी के अनुसार वर्ष 2019 के अप्रैल में राज्य का अपना राजस्व संग्रह 2,542.23 करोड़ की तुलना में 24 मार्च से लॉकडाउन लागू हो जाने के कारण अप्रैल 2020 में मात्र 450.21 करोड़ ही हो पाया. वाणिज्य कर का अप्रैल, 2019 के 1,622.23 करोड़ की तुलना में अप्रैल, 2020 में मात्र 256.21 करोड़, निबंधन से 299.21 करोड़ की जगह 4.0 करोड़, परिवहन से 189.68 करोड़ की जगह 31 करोड़, खनन से 71.16 करोड़ की जगह 60 करोड़ व अन्य स्रोतों से 359.95 करोड़ की तुलना में केवल 99 करोड़ का ही संग्रह हो पाया.
सबसे बड़ा सवाल राजस्व में जो 80 फीसदी से भी जो ज्यादा गिरावट आई है,उसकी भरपाई कैसे होगी.दुसरे राज्यों ने तो शराब की दुकानें खोलकर, उसकी कीमत में लगभग दो गुना इजाफा कर राजस्व कमाने का जुगाड़ कर लिया है लेकिन बिहार कैसे इस राजस्व की कमी की भरपाई कर पायेगा.जानकारों के नुसार डीजल-पेट्रोल की कीमत मिजाफा कर राज्य सरकार अपने घाटे की क्षति-पूर्ति करने की कोशिश कर सकती है.