सिटी पोस्ट लाइव : 50 साल से ज्यादा उम्र के सरकारी कर्मचारियों की कार्य दक्षता की समीक्षा के आधार पर कर्मियों को जबरिया रिटायर करने के बिहार सरकार के फैसले को लेकर आक्रोश गहराता जा रहा है. बिहार में आज सरकारी कर्मचारी सड़क पर उतरे. राज्य के हर जिले में नीतीश सरकार के आदेश की कॉपी फूंकी गयी. कर्मचारी राज्य सरकार के उस आदेश का विरोध कर रहे हैं, जिसमें कर्मचारियों की 50 साल की उम्र पूरी होने पर कार्यदक्षता की समीक्षा कर जबरन सेवानिवृत्त करने का फैसला लिया गया है.
बिहार राज्य़ कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) आज से आंदोलन शुरू कर दिया है. कर्मचारियों ने पटना के नया सचिवालय सहित पूरे बिहार में सभी जिला मुख्यालयों पर सरकारी आदेश की प्रति को जलाया. कर्मचारियों ने संविदा कर्मियों को सरकारीकर्मी घोषित नहीं करने पर भी आक्रोश जताया. कर्मचारी महासंघ ने सरकार के फैसले को तानाशाही करार दिया है. 22 जनवरी 2021 को संविदा कर्मचारियों के संबंध में निकाले गये सरकारी आदेश की कॉपी को भी आज जलाया गया.
गौरतलब है कि बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश निकाला है कि सरकार हर 6 महीने में कर्मचारियों के काम की समीक्षा करेगी. इस समीक्षा के दौरान 50 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले सरकारी सेवकों की कार्य दक्षता, आचरण और निष्ठा सही नहीं पायी गयी तो उन्हें जबरन रिटायर कर दिया जायेगा. कर्मचारी संगठनों ने इसे सरकार का तुगलकी फरमान करार दिया है. कर्मचारी संगठन कह रहे हैं कि बिहार में सरकारी सेवकों के लिए सेवा संहिता बनी हुई है. जिसमें नियम 74(क) और (ख) के तहत अपवाद और विशेष परिस्थिति में अनिवार्य सेवानिवृत्ति और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के प्रावधान किये गये हैं. सरकार उस आदेश को सामान्य और रूटीन प्रक्रिया बना रही है. इससे अफसरशाही की निरंकुशता बढ़ेगी और कर्मचारियों को आतंक के साये में काम करने को मजबूर होना पड़ेगा.
सरकार के इस फैसले से सेवा कर्मियो में भारी भय और गुस्सा है. इससे सरकारी कामकाज भी प्रभावित हो रहा है. महासंघ ने मांग किया है कि सरकार जबरिया सेवानिवृत्ति का आदेश रद्द करे. सभी संविदा कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित कर उनको नियमित करने का आदेश जारी करे अन्यथा आंदोलन तेज होगा.