सावधान! इस अस्पताल में डॉक्टर नहीं गार्ड करता है मरीजों का ईलाज. गार्ड ही लगता है इंजेक्शन और वहीँ चढ़ाता है ईमर्जेंसी में मरीजों को स्लाईं .
सुपौल से बिष्णु गुप्ता की रिपोर्ट
सिटी पोस्ट लाइव : यदि भगवान के बाद पृथ्वी पर किसी और का नाम आता है तो वो है डॉक्टर, क्योंकि डॉक्टर जिन्दगी बचाता है. लेकिन आपको पता चले कि जिस अस्पताल में आप ईलाज कराने जा रहे हैं वहां डॉक्टर नहीं अस्पताल का सुरक्षाकर्मी आपको इंजेक्शन दे रहा है तो कैसा लगेगा. कुछ ऐसा ही आलम है सुपौल जिले के एक सरकारी अस्पताल का, जहां डॉक्टर हमेशा नदारत रहते हैं और इलाज सुरक्षाकर्मी करते हैं.
ये हाल सुपौल जिले के निर्मली अनुमंडल मुख्यालय के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है. जहां न मरीजों के लिए कोई सुविधा है और न ठीक तरीके से डॉक्टर, नर्स डियूटी निभाते हैं. ऐसे में कोई इमरजेंसी केश आ जाये तो मरीज को अपने जान से हाथ धोना पड़े. सुपौल जिले के मरौना, निर्मली प्रखंड और पड़ोस के जिले मधुबनी के घोघरडीहा, फुलपरास व लौकही प्रखंड के सीमावर्ती दर्जनों गांव इस अस्पताल पर निर्भर हैं. हर रोज सैकड़ो मरीज इस अस्पताल में आते हैं. उनका कहना है कि यहां डॉक्टर बहुत कम मौजूद होते हैं. यदि डॉक्टर साहब चेक कर भी लेते हैं तो बाकी सारा काम जैसे इंजेक्शन, सलाईन चढ़ाना गार्ड ही करते हैं. छह बेड वाले इस अस्पताल में सुविधाओं की भारी कमी है.
डॉक्टर सुरक्षाकर्मी द्वारा इंजेक्सन लगाये जाने की बात को झूठा करार देते हैं. उनका कहना है कि ऐसा इस अस्पताल में कुछ नहीं होता. वहीं सुरक्षा गार्ड का कहना है कि मुझे इंजेक्सन और सलाईन चढ़ाना नहीं आता. मरीज कहते हैं कि लाकर दो तो उनकी मदद के लिए मैं लाकर देता हूँ. जबकि तस्वीरें कुछ और ही बयां करती है. मुलभुत सुविधाओं से वंचित यह अस्पताल मानों मरीजों के लिए नर्क से कम नहीं. जिसपर ना सरकार ध्यान देने को तैयार है न प्रशासन को कोई फ़िक्र. इस चक्कर में गरीब और लाचार मरीज पिसते रहते हैं. जिस अस्पताल पर इतने गांव निर्भर हो उसके लिए सिर्फ छः बेड जो सदैव डाक्टरों से वंचित रहता है. इस पर सरकार को विचार करना चाहिए.
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