सिटी पोस्ट लाइव : फरार चल रहे गया के तत्कालीन SSP आदित्य कुमार के एक से एक बड़े कारनामे अब सामने आ रहे हैं.अपने एक भ्रष्ट थानेदार को बचाने के लिए उन्होंने अपने आईजी अमित लोढ़ा के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया था.अपने एक करीबी अपराधी गोल्डन दास के जरिये उसने कई सीनियर आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ पटना पुलिस मुख्यालय से लेकर दिल्ली तक शिकायत दर्जा करवाने का भी काम किया.एसएसपी आदित्य कुमार जिस थानेदार को बचाने के लिए आईजी से भिड गये उसका नाम संजय कुमार है.संजय कुमार हमेशा आदित्य कुमार का राइट हैंड रहा. वो जहां भी जाता, पूरी ठसक में रहता. वो कहता कि जबतक आदित्य हैं, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
2009 बैच का सब इंस्पेक्टर संजय कुमार की अकड़ ऐसी कि खुद को आईपीएस से कम नहीं समझता. संजय कुमार और आईपीएस आदित्य कुमार के सांठगांठ की कहानी तब शुरू होती है, जब आदित्य कुमार जहानाबाद के एसपी होते थे. संजय कुमार उस वक्त जहानाबाद के किसी थाने में कार्यरत था.जानकारी के मुताबिक जहानाबाद के बाद जब आदित्य का तबादला गया हुआ. वे एसएसपी बने. उसी वक्त संजय कुमार का तबादला गया के फतेहपुर थाने में हुआ. सूत्रों की मानें, तो दोनों के बीच तगड़ा रिश्ता बना। संजय कुमार फतेहपुर थाने का थानेदार बन गया. अकड़ में रहना और अपने मातहतों के बीच शेखी बघारना उसकी दिनचर्या थी. वो साफ कहता था कि एसएसपी उनके आदमी हैं, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
संजय कुमार की वजह से आदित्य कुमार अपने वरिष्ठों से भिड़ गये थे. मामला वहीं शराब कारोबारी से संबंध का था. आदित्य को संजय कुमार के काले कारनामे पता थे, लेकिन कार्रवाई शून्य रही. शराबबंदी कानून में कोताही कर, जहां बाकी गया के थानेदार नप जाते थे। वहीं, संजय कुमार का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा था. संजय कुमार पर कार्रवाई करने की जगह आदित्य उसे महज चेतावनी देकर छोड़ देते थे. आईपीएस आदित्य और संजय कुमार के संबंधों में चल रहे इस गोरखधंधे का खुलासा तब हुआ, जब शराब की बरामदगी हुई. 8 मार्च 2021 को बोरे में बंधा हुआ अंग्रेजी शराब बरामद हुआ. उसके बाद 26 मार्च को सेंट्रो कार में रखी हुई डेढ़ सौ लीटर की शराब की खेप फतेहपुर थाना इलाके में पकड़ी गई.
इस मामले में खेल करने के उद्देश्य से संजय कुमार ने सिर्फ सनहा दर्ज किया. शराब को जब्त नहीं दिखाया। थानेदार संजय कुमार ने मामले में प्राथमिकी नहीं दर्ज की. इस मामले में कोताही को लेकर संजय कुमार पर एफआईआर दर्ज हुआ. उसके बाद 2021 में ही फतेहपुर थाने में एक साइबर फ्रॉड केस हुआ. जिसमें फतेहपुर के धनेटा इलाके से दो भाईयों को पकड़ा गया. जिनके पास से एटीएम कार्ड और मोबाइल बरामद हुए। थानेदार संजय कुमार ने इस मामले को भी रफा-दफा करने की कोशिश की. सिर्फ सनहा दर्ज किया और मामले में जब्ती नहीं दिखाते हुए, केस को कमजोर कर दिया.
उसके बाद फतेहपुर थाने में एक अपराधी ने पिस्तौल के लिए आवेदन दिया. थानेदार संजय कुमार ने बिना किसी जांच के लिखकर दे दिया कि रवि कुमार आवेदनकर्ता के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं है. उसके बाद किसी ने इसकी शिकायत तत्कालीन आईजी अमित लोढ़ा से कर दी. अमित लोढ़ा संजय कुमार पर एक्शन लेने के लिए एसएसपी आदित्य कुमार को कहा, लेकिन आदित्य कुमार आईजी की बात टाल गए. इस मामले में ये खुलासा हुआ कि पिस्तौल का लाइसेंस मांगने वाला हिस्ट्रीशीटर है. संजय कुमार वाले फतेहपुर थाना में उस पर 5 क्रिमिनल केस दर्ज हैं. सबकुछ जानते हुए थानेदार संजय कुमार ने उसके पक्ष में रिपोर्ट लिखी. रिपोर्ट को डीएम को भेज भी दिया. सारी स्थिति स्पष्ट होने के बाद संजय कुमार को सस्पेंड कर दिया गया.
संजय कुमार को बचाने के लिए आईपीएस आदित्य अपने वरिष्ठों से भिड़ गए. उन्हें लग रहा था कि संजय की गिरफ्तारी के बाद उनके काले कारनामे भी सामने आ जाएंगे. इस बीच एसएसपी आदित्य कुमार और आईजी अमित लोढ़ा के बीच जमकर शीतयुद्ध चला. मामला राज्य सरकार के गृह विभाग तक पहुंच गया.आदित्य कुमार ने अपने आदेशों में ये माना था कि संजय कुमार ने बड़ी गलती की है. उसके बाद भी उसे सिर्फ चेतावनी देकर वे छोड़ते रहे. संजय कुमार के ऊपर निगरानी रखने की बात भी सामने आई. इस दौरान आईजी अमित लोढ़ा ने संजय कुमार को एक अयोग्य पुलिस पदाधिकारी करार देते हुए संजय कुमार को 10 साल के लिए थानेदारी से वंचित रखने की सिफारिश की. अभी तक संजय कुमार अपनी गिरफ्तारी के डर से पुलिस से बचते हुए फरार है.