महिला रिमांड होम से फरार युवती ने उजागर किया ‘काला सच’, मचा हड़कंप.

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव :बिहार के महिला रिमांड होम  के सच को एकबार फिर से रिमांड होम  से फरार महिला ने उजागर किया है. पटना के गायघाट स्थित महिला रिमांड होम से फरार हुई एक युवती ने अधीक्षिका वंदना गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए हैं. रविवार को सोशल मीडिया पर ढाई मिनट का वीडियो सामने आया था जिसमें रिमांड होम को लेकर इस युवती ने कई तरह के गंभीर आरोप लगाए थे. उसने बताया कि वहां गंदा काम होता है. रिमांड होम की खूबसूरत लड़‍कियां मैम (अधीक्षिका वंदना गुप्ता) को प्‍यारी होती हैं. वीडियो में युवती ने अधीक्षिका के ऊपर लड़कियों के शारीरिक व मानसिक शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं.

मामला सामने आने के बाद समाज कल्याण विभाग ने आनन-फानन में एक टीम गठित कर जांच का दावा करते हुए महिला डिमांड होम की व्यवस्था को क्लीन चिट दे दिया है.लेकिन रिमांड होम की व्यवस्था को लेकर सवाल खड़ा हो गया है. कई ऐसे सवाल हैं जिस पर अधिकारी मौन धारण किए हुए हैं. मुजफ्फरपुर गर्ल्स शेल्टर होम के अंदर का पाप सामने आने के बाद ऐसा लगने लगा था कि बिहार के शेल्टर होम और रिमांड होम की हालत अब सुधर जाएगी. लेकिन पटना के गाय घाट स्थित महिला रिमांड होम से भागी युवती ने यहां की सुपरिटेंडेंड और व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगाए हैं इससे समाज कल्याण विभाग में खलबली मच गई है.

यह वीडियो सामने आने के बाद समाज कल्याण विभाग ने आनन-फानन में एक टीम गठित कर पूरे मामले की जांच करवाई. जांच टीम की रिपोर्ट के मुताबिक आरोप लगाने वाली युवती के व्‍यवहार में स्थिरता नहीं दिखी. रिपोर्ट में कहा गया कि उसने अपने पति पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिसे बाद में वापस ले लिया था. जांच टीम के अनुसार झूठ बोलना, अन्य बालिकाओं को उकसाना, गृह के कमियों की शिकायत करना, साथ ही गृहकर्मियों को धमकी देना उसके स्वभाव में शामिल पाया गया. जांच रिपोर्ट में कहा गया कि युवती झगड़ालू प्रवृत्ति की है, जिसकी पुष्टि रिमांड होम के स्‍टाफ और वहां रहने वाली लड़कियों ने की है.

मुजफ्फरपुर गर्ल्स शेल्टर होम मामले को लेकर पीआईएल (जनहित याचिका) दाखिल करने वाले पटना व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता के.डी मिश्र ने यह दावा किया है कि गायघाट स्थित रिमांड होम की अधीक्षिका वंदना गुप्ता बतौर चाइल्ड प्रोटेक्शन अफसर समाज कल्याण विभाग में तैनात हैं, और उन्हें केवल प्रभार में कुछ महीनों तक ही महिला रिमांड होम में अधीक्षिका के पद पर रखा जा सकता था. मगर वो पिछले कई वर्षों से महिला रिमांड होम में तैनात हैं.

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