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पटना के नशामुक्ति केंद्र में सीनियर डिप्टी कलेक्टर के बेटे की मौत.

डिप्टी कलेक्टर ने बेटे को नशा छुड़ाने भेजा, मिली मौत, ​​​​​​​होती थी पिटाई, नींद में देते बच्चे को इंजेक्शन.

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सिटी पोस्ट लाइव : पटना के डिवीजनल कमिश्नर की ऑफिस में पोस्टेड सीनियर डिप्टी कलेक्टर सूरज कुमार सिन्हा के16 साल के बेटे आयुष की मौत तीन दिन पहले संदिग्ध अवस्था में हुई थी. पिता और परिवार के सदस्यों को उनके लाडले के साथ बड़े स्तर पर कुछ गलत होने की आशंका है. आयुष के नशामुक्ति केंद्र में भर्ती होने से लेकर उसकी मौत तक की कहानी बेहद दर्दनाक है.वह मसूरी में 11वीं में पढ़ता था. विंटर वेकेशन में घर आया था. घर पर सिगरेट और गांजा उसके पास से मिला. उसे नशे की लत लग गई थी. छुड़ाने के लिए पटना के फुलवारी शरीफ स्थित मानस हॉस्पिटल में एडमिट कराया था.

सूरज कुमार सिन्हा के अनुसार उनका बेटा अगले दिन सुबह में वो थोड़ा उग्र हो गया था. उसने अपनी मां से भी रूड बिहेवियर किया. उसने अपना मोबाइल तोड़ दिया. छोटे भाई का चश्मा भी तोड़ दिया. साथ ही छोटे भाई को उसने उस दिन मारा भी. तभी लगा कि उसे एक महीने के लिए नशा मुक्ति केंद्र में डालते हैं. प्लान था कि एक महीने के अंतराल में वो ठीक हो जाएगा. 17 से 20 जनवरी तक उसे वापस घर ले आएंगे. इसके बाद उसे 1 फरवरी को वापस स्कूल की पढ़ाई करने के लिए मसूरी भेज दिया जाएगा.

4 जनवरी को बेटे से मिले तो बेटे ने बताया कि 29 दिसंबर को सुजीत कुमार नाम के स्टाफ ने उसके साथ मारपीट की थी. उसे इतना पिटा था कि उसके जबड़े में चोट आ गई थी. इस कारण 2-3 दिन तक वो खाना नहीं खा पाया था. दूसरे स्टाफ रजनीश ने दवा दी थी तो वो खाना खा पा रहा था.आयुष ने बताया था कि रात में उसे नींद का इंजेक्शन दिया जाता था. फिर अगले दिन सुबह-सुबह जबरन जगाया जाता था. इस पर बेटे ने कहा था कि हम ऐसे में कैसे सुबह उठेंगे? इसके बाद ही सुजीत ने कंबल खींच कर मारा था. उसने गालियां भी दी. इसके बाद मैंने सुजीत को उस दिन बुलवाया और उससे पूछा कि तुमने क्यों मारा आयुष को? बेटे के सामने ही उससे पूछे थे. तब सुजीत ने कहा कि नहीं सर, हम उतना नहीं मारे हैं जितना वो बोल रहा है.

सीनियर डिप्टी कलेक्टर ने बताया कि वो 8 जनवरी को भी अपने बेटे से मिलने गए थे. उस दिन सब सामान्य था. लेकिन, 12 जनवरी को अचानक से कॉल आता है कि आपके बेटे की तबीयत बिगड़ गई है. उसका पल्स नहीं मिल रहा है. BP डाउन हो गया है. जब पूछा कि अचानक से ऐसा कैसे हो गया? तब जवाब मिला कि उसे उल्टी हुई थी. इसके बाद से ऐसा हो गया. कुछ देर बाद फिर उनका कॉल आता है कि इलाज के लिए उसे बाहर ले जा रहे हैं. उसे बाहर फिजिशियन से दिखाएंगे. फिर 1 मिनट बाद ही डॉक्टर संतोष का कॉल आता है और पूछते हैं कि पारस हॉस्पिटल ले जाएं या कहां ले जाएं? मैंने पटना एम्स ले जाने को कहा. उस बीच 10 से 12 कॉल आया और बार-बार यही कहा गया कि बहुत क्रिटिकल है. तब मुझे अंदेशा हो गया कि मेरे बेटे के साथ बहुत गलत हो चुका है.

एम्स पहुंचे तो देखे कि मेरा बेटा वेंटिलेटर पर था. सवाल ये है कि अचानक से कोई वेंटिलेटर पर कैसे आ जाएगा? जब तक की उसे कोई लंबी बीमारी नहीं हो? वो पहले से बीमार नहीं हो? पिता का दावा है कि उनके बेटे को किसी प्रकार की कोई गंभीर बीमारी नहीं थी. पोस्टमार्टम के लिए ले जाने से पहले हम देखे कि उसके शरीर पर चोट के कई निशान थे.उसके शरीर पर जलने के निशान थे. शरीर के एक हिस्से पर जलने के बाद की चमड़ी उजरी हुई थी. अपने दिल को सख्त बनाकर बेटे की लाश का वीडियो बनाया.इसके बाद पटना डीएम के आदेश पर परे पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी हुई. 5 डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम किया था. फुलवारी शरीफ थाना में केस दर्ज हो चुका है.

इस मामले में आगे की जांच के लिए एम्स के सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की जाएगी. अब तक मानस हॉस्पिटल के एक और उसकी जांच करने वाले वाले फिजिशियन डॉक्टर से भी पूछताछ की गई है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही अब सब कुछ स्पष्ट हो पाएगा.। इस मामले में पुलिस की जांच सही और निष्पक्ष तरीके से हो सके, इसके लिए वो पटना के IG से मिलेंगे.

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