सिटी पोस्ट लाइव : हम इस बात पर ना कोई बहस चाहते हैं कि बिहार में जंगल राज, या फिर अमंगल राज है। लेकिन हम यह ताल ठोंक कर जरूर कहेंगे कि बिहार में ना तो कानून का राज है और ना ही सुशासन है। मंगलवार को बिहार पंचायत चुनाव के ग्यारह चरण में हुए मतदान का आखिरी परिणाम आ गया। यानि, मंगलवार को पंचायती राज चुनाव की सारी प्रक्रियाएँ खत्म हो गईं। इस चुनाव परिणाम के बाद, चुनावी रंजिश में गोलियों की तड़तड़ाहट का एक नया दौर शुरू हो गया है। इस बार बिहार में पंचायती राज व्यवस्था के तहत, जितने प्रत्याशी मुखिया का चुनाव जीते हैं, वे अपनी सुरक्षा का पुख्ता और चाक-चौबंद इंतजाम, पहले से कर लें, नहीं तो आप की हत्या हो सकती है।
यह हम किसी विजिलेंस रिपोर्ट के आधार पर, या फिर अपने किसी अनुसंधान के बूते से नहीं कह रहे हैं। यह बिहार के मौजूँ हालात, खुद से कह रहे हैं। बिहार में अभी तक 4 नव निर्वाचित मुखिया की हत्या हो चुकी है। बिहार में पंचायती राज व्यवस्था के तहत खत्म हो चुके चुनाव के बाद भी, इस बार नव निर्वाचित मुखिया की जान पर सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है। बिहार में इस बार नव निर्वाचित चार मुखिया समेत दो वार्ड सदस्यों की, गोली मार कर हत्या की जा चुकी है। यह हत्या चुनावी रंजिश के कारण हुई है। बिहार में मुखिया पद के लिए सबसे ज्यादा मारा-मारी रही है। लोग किसी भी कीमत पर मुखिया बनना चाह रहे थे। चुनाव हारने वाले प्रत्याशी अपनी हार को पचा नहीं पा रहे हैं, जिस कारण से जीते हुए मुखिया प्रत्याशियों पर जान का खतरा बना हुआ है। बिहार के आरा जिले के चार पोखरी थाने के बाबू बांध पंचायत के मुखिया संजय सिंह इस बार मारे जाने वाले बिहार के पहले नव निर्वाचित मुखिया हैं, जिनकी हत्या उन्हीं के पंचायत में हुई है। एक सामाजिक पंचायत में जाने के दौरान, घात लगाए अपराधियों ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी। दूसरे मुखिया, जिनकी इस बार हत्या हुई है, वह जमुई जिले के दरखा पंचायत के मुखिया जयप्रकाश महतो हैं।
इन्होंने काफी कम अंतर से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को हराया था और उनके ऊपर उसी प्रत्याशी ने जानलेवा हमला किया और उनकी मौत हो गई। तीसरे मुखिया जिनकी हत्या हुई है, वह पूर्वी पंडारक से नवनिर्वाचित मुखिया गोरेलाल हैं, जिनकी हत्या 4 दिन पहले एक शादी समारोह में कर दी गई। अपराधियों का हौसला देखिए कि मुखिया गोरेलाल के साथ ही पंडारक के एक ए.एस.आई. और एक वार्ड सदस्य जो शादी समारोह में मौजूद थे, उन्हें भी गोलियों से भून दिया गया। इन दोनों की भी मौत हो गयी। पंडारक पटना जिले के बाढ़ अनुमंडल में आता है। चौथे मुखिया, जिनकी हत्या 13 दिसंबर को की गई है, उनका नाम नीरज कुमार है। पटना जिले के जानीपुर थाना अंतर्गत रामपुर फरीद पंचायत के निवर्तमान मुखिया, नीरज कुमार ने लगातार दूसरी बार मुखिया पद पर जीत हासिल की थी। नीरज कुमार की हत्या के 2 दिन पहले नौबतपुर थाना के लोदीपुर वार्ड नंबर 9 से नव निर्वाचित वार्ड सदस्य संजय वर्मा की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। मुखिया के इस तरह से हो रही हत्या की वजह से, बिहार में नव निर्वाचित मुखिया काफी डरे हुए हैं।
हर एक पंचायत का यही हाल है। जो चुनाव हारा है, वह बेहद गुस्से में है और जो चुनाव जीते हुए हैं, वो खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।दीगर बात है कि राज्य सरकार नव निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को सुरक्षा देने में असमर्थ है। राज्य सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि जहाँ-जहाँ हत्या हुई है, वहाँ पर दोषियों के खिलाफ अविलंब कार्रवाई की जा रही है। नामजद अभियुक्तों की धर-पकड़ के लिए छापेमारी की जा रही है। लेकिन जिस तरह से इस बार नव निर्वाचित 4 मुखिया, 2 वार्ड सदस्यों की गोली मार कर हत्या की गई है, इससे लगता है कि आने वाले दिनों में बिहार के पंचायत प्रतिनिधि सुरक्षित नहीं है। ऐसे में इन निर्वाचित जन प्रतिनिधियों के लिए राज्य सरकार को उनकी सुरक्षा को लेकर, गंभीर होना चाहिए। जानकारी के मुताबिक चुनाव के दौरान प्रतिद्वंदी प्रत्याशियों के समर्थकों के बीच हुई गोलीबारी और मारपीट में अलग से 8 लोगों को अलग से अपनी जान गंवानी पड़ी है। अब भगवान ही जानें कि आगे कैसे दिन देखने को मिलेंगे।
पीटीएम मीडिया ग्रुप के मैनेजिंग एडिटर मुकेश कुमार सिंह