छापेमारी-शराब की बरामदगी बस एक दिखावा है भई ,खुद पुलिस ही शराब के कारोबार को बढ़ा रही आगे.
सिटीपोस्टलाईव: (दीपक कुमार)पुलिस ही बेचवा रही है शराब ? ये सवाल मन में क्यूँ उठ रहा है ? बंदी के दो साल पूरे होने के वावजूद भी शराब का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है.हर रोज कहीं ना कहीं से शराब की खेप पकडे जाने की खबर आ ही जाती है.सवाल उठता है कि जब लगातार छापेमारी हो रही है.बिहार पुलिस मुख्यालय की मानें तो 6 लाख से ज्यादा छापे मारे जा चुके हैं.एक लाख से अधिक एफआअर दर्ज हो चुके हैं.सवा लाख लोग गिरफ्तार हो चुके हैं .25 लाख लीटर से ज्यादा देशी-विदेशी शराब की बरामदगी भी हो चुकी है. फिर यक्ष प्रश्न – दो साल की कारवाई के बाद भी शराब का अवैध कारोबार क्यूँ नहीं रुक पा रहा है.कहीं इस छापेमारी और बरामदगी की आड़ में ही अवैध शराब का कारोबार तो नहीं चलाया जा रहा है ? पुलिस ही बेचवा रही शराब ?
इस सवाल का जबाब अब मिल गया है.जी,हाँ बिहार में शराब पकड़ने के लिए की जा रही छापेमारी और शराब की की आड़ में शराब का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है.जनता को लगे कि कारवाई हो रही है ,पुलिस छपे भी मार रही है .शराब बरामद भी कर रही है.लेकिन वहीँ पुलिस अपनी कारवाई की आड़ में अवैध शराब का समानांतर कारोबार चलाने में भी अहम् भूमिका निभा रही है.इसका ताजा प्रमाण है गया के चाकंद थाने के थानेदार की गिरफ्तारी .एसएसपी ने चाकंद के थानाध्यक्ष पवन कुमार को एसएसपी राजीव मिश्रा ने खुद गिरफ्तार किया है.थानेदार के आवास से शराब माफिया से मिले चढ़ावे के 1.6 लाख रुपये भी एसएसपी ने बरामद कर लिया है.जाहिर है पुलिस की छापेमारी और शराब की बरामदगी एक दिखावा भर है.दरअसल इसी छापेमारी और बरामदगी की आड़ में पुलिस ही बेचवा रही है शराब .
चाकंद थानाध्यक्ष ने शुक्रवार की रात नगर प्रखंड गन्नु बिगहा गांव से शराब से लदा एक ट्रक व चार लोगों को पकड़ा था.एक स्थानीय जनप्रतिनिधि के हस्तक्षेप पर दो लोगों को छोड़ दिया. ट्रक छोडऩे के लिए शराब तस्करों से तीन लाख रुपये की मांग की.तस्करों ने डेढ़ लाख रुपये का भुगतान कर दिया था.बाकी रकम करने वाले थे .इस बीच एसएसपी को इसकी भनक लग गई .उन्होंने थानाध्यक्ष के सरकारी आवास पर धावा बोला तो सच्चाई सामने आ गई .1.16 लाख रुपये बरामद होने के बाद एसएसपी ने तत्काल थानेदार को गिरफ्तार कर लिया.खुल गया राज-पुलिस ही बचवा रही है शराब.
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