सिटी पोस्ट लाइव (अंजलि श्रीवास्तव) : मुजफ्फरपुर बालिका गृह में यौन शोषण की खबर सुनकर ही लोग परेशान हैं.लेकिन बालिका गृह की लड़कियों ने जो यहाँ जो यातनाएं झेल चुकी हैं, उसकी कहानी किसी संवेदनशील इंसान को हिला देने के लिए काफी है. ईन लड़कियों की आपबीती रोंगटे खड़े कर देने वाली है. खून खुला देनेवाली है. सात साल से दस साल की लड़कियों को इंजेक्शन देकर उन्हें असमय जवान बना देने और उसके बाद उनके मानसिक और शारीरिक शोषण की कहानी किसी भी संवेदनशील इंसान को हिला देने के लिए काफी हैं. जिस पीड़ा और वेदना से ईन बच्चियों को गुजरना पड़ा है, वह साक्षात् नरक से भी भयावह है.
यातनाओं से कई लड़कियाँ मानसिकरूप से विक्षिप्त हो चुकी हैं. छह नाबालिग लड़कियां गर्भवती हो चुकी हैं और तीन लड़कियाँ बचपन में किये गए गर्भपात की वजह से शायद कभी माँ नहीं बन पाएगीं. ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने दस वर्ष की एक पीड़िता ने अपना बयान दर्ज कराते हुए बताया कि किस तरह से सूरज के ढलते ही वो दहशतजदा हो जाती थीं. पूरी रात आतंक और वेदना की होती थी.
मेडिकल जांच में साबित हुआ है कि गर्भवती हुई अधिकतर लड़कियों की उम्र सात से 14 वर्ष के बीच है. बालिका गृह की 42 लड़कियों की जांच में 34 के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई है. स्पेशल पॉक्सो कोर्ट के सामने दिए गए बयान में लड़कियों ने बताया कि उन्हें बुरी तरह पीटा जाता था, भूखा रखा जाता था, ड्रग्स के इंजेक्शन दिए जाते थे, उन्हें नंगा रखा जाता था और तकरीबन हर रात उनके साथ दुष्कर्म किया जाता था.
मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह से मुक्त कराकर मोकामा के नजारत अस्पताल में लाई गईं सभी 31 लड़कियां यौन शोषण से बचने के लिए आत्महत्या का प्रयास कर चुकी हैं. किसी ने शीशे से हाथ की नस काटने की कोशिश की थी, तो किसी ने ब्लेड से खुद पर वार किया. दरिंदों द्वारा लड़कियों को इस कदर मानसिक प्रताड़ना दी जाती थीं कि वे मजबूर होकर जैसा उनसे करने को कहा जाता था , वैसा करती थीं.
रक्सौल की एक लड़की ने बातचीत के दौरान बिहार राज्य महिला आयोग की टीम को बताया कि खाना खाते ही उन्हें गहरी नींद सताने लगती थी. कुछ मिनट बाद वे बेसुध हो जाती थीं. सुबह जब आंख खुलती थी तो शरीर में असहनीय पीड़ा होती थीं. जब कभी वह पहले से रह रहीं सहेलियों से शिकायत करतीं तो वे मुंह फेरकर चली जाती थीं. संचालक या प्रबंधन का कोई आदमी उनकी नहीं सुनता था.इस बालिका गृह में सात महिला कर्मचारी थीं लेकिन उनमे से एक भी ईन बच्चियों से हमदर्दी नहीं रखती थीं.
जब यह रोज-रोज उनके साथ जबरन सेक्स होने लगा तो छुटकारा पाने के लिए कईयों ने अपने कलाई की नस काटकर जान देने की कोशिश की.जब भी उन्होंने आत्मघाती कदम उठाया तो प्राथमिक उपचार कराने के बाद उनकी जमकर पिटाई होती थी. न तो उन्हें जीने दिया जा रहा था और ना ही मरने की ईजाजत थी.जिन्होंने ज्यादा जीद किया और विरोध किया वो कहाँ गायब हो गेन किसी को पता नहीं.पूछने पर उन्हें बताया जाता था कि उन्हें किसी ने गोद ले लिया .लड़की ने टीम को बताया कि पुलिस में शिकायत करने के बाद आरोपित अधिकारी रवि रोशन बालिका गृह में आकर शिकायत करने पर मौत के घाट उतारने की धमकी तक दे डाली थी.
भूली-भटकी लड़कियों को पुलिसवाले बालिका आश्रय गृह लाकर छोड़ देते थे. इस प्रक्रिया में हर चौराहे पर दलाल खड़े होते थे. बालिका गृह के पास दो तरह के रजिस्टर होते थे . एक ही लड़की के अलग-अलग नाम लिखे जाते थे . एक रजिस्टर सरकारी दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल होता था और दूसरे में उसी लड़की का नाम बदल दिया जाता था, जिसको देह व्यापार में झोंका जाता था.
16 वर्षीय एक लड़की ने बताया कि बेहोशी की दवा खाने से उसकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी. जब सच्चाई का पता चला तो उसने दवा युक्त खाना खाने से इन्कार कर दिया.जब उसे कार्यालय में बुलाकर खाना खाने के लिए बाध्य किया गया तो उसने कह दिया कि मुझे पता है, मेरे साथ बेहोशी में क्या होता है? आप मुझे मारें-पीटें नहीं, मैं हर काम करने के लिए तैयार हूं. इसके बाद उसे शाबाशी दी गई और कपड़े उतारने को कहा गया . फिर उसके मोबाइल से अश्लील वीडियो बनाए गए .उन्हें बताया गया कि इसे नेताओं और अधिकारियों को भेंज जाएगा .जो पसंद करेगा उसके साथ तुम रात गुजारोगी .
इस मामले में बालिका गृह से सात महिलाएं गिरफ्तार की गई हैं. इन पर लड़कियों को प्रताड़ित करने से लेकर बाहरी लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करने के जघन्य आरोप लगाए गए हैं. इन सभी सात महिलाओं को मुजफ्फरपुर पुलिस ने दो जून को गिरफ्तार किया था और पीड़ित लड़कियों के बयान के आधार पर पोक्सो एक्ट के तहत अगले ही दिन जेल भेज दिया गया है.
एक दूसरी पीड़िता ने बताया कि आमतौर पर दुष्कर्म से पहले उसे ड्रग्स दिया जाता था. होश में आने पर उसके प्राइवेट पार्ट्स में जख्म और दर्द का सिलसिला चलता था. कोर्ट के सामने सात साल की एक और पीड़िता ने बताया कि दुष्कर्म के दौरान उसके हाथ पैर बांध दिए जाते थे. विरोध करने पर तीन दिन तक भूखा रखा जाता था और बेरहमी से मारा जाता था. संचालक से माफी मांगने और उसके सामने सरेंडर करने पर ही खाना दिया जाता था. सात साल की ही एक लगभग गूंगी पीड़िता ने बताया कि उसे दो दिन भूखा रखा गया और वह हार गई. दस साल की एक पीड़िता ने कहा कि उसके प्राइवेट पार्ट्स पर जख्म के दाग बन गए हैं. उसके साथ लगातार प्रताड़ना और दुष्कर्म के बाद वह कई दिनों तक चल फिर नहीं सकी थी.